Mumbai Attack: यह पहली बार नहीं था जब भारत ने पाकिस्तान का हमला झेला हो, भारत में शांति भंग करने के लिए पाकिस्तान कई तरह की गतिविधि करते रहते है और आखिर में नाकाम हो जाते है, यह वही 26 नवंबर है जब भारत में आतंकी हमला से कई लोगो की जान गई, मुंबई के कई हाई प्रोफाइल स्थानों पर सुनियोजित तरीके से कई आतंकी हमले किए थे, जिनमें ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, लियोपोल्ड कैफे, मुंबई चबाड हाउस, नरीमन हाउस, कामा अस्पताल और मेट्रो सिनेमा शामिल थे। मुंबई में हुई इस आतंकी हमलों में कम से कम 166 लोगों की जान चली गई, जिनमें 20 सुरक्षा बल के सदस्य और 26 विदेशी शामिल थे, और 300 से ज़्यादा लोग घायल हुए। ये हमले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादियों ने किए थे, जो समुद्री रास्ते से पाकिस्तान से मुंबई आए थे। मुंबई में हुए इस घटना के बाद सेक्युरिटी पर कई सवाल उठे
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26/11 मुंबई हमले को हुए 16 साल
Mumbai Attack: पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने मुंबई में कई जगहों पर नागरिकों के खिलाफ हथगोले और स्वचालित बंदूकों का इस्तेमाल करके लोगों को निशाना बनाया, जिसमें एक थिएटर, दो अस्पताल, लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन शामिल हैं। हिंसा तीन स्थानों पर जारी रही, जहाँ बंधक बनाए गए थे जैसे कि यहूदी आउटरीच सेंटर, नरीमन हाउस और लक्जरी होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट और ताज महल पैलेस एंड टॉवर। 28 नवंबर को नरीमन हाउस की घेराबंदी खत्म होने पर दो बंदूकधारी और छह बंधक मारे गए। अगले दिन ताज महल पैलेस और ओबेरॉय ट्राइडेंट की घेराबंदी खत्म हो गई। दस आतंकवादियों में से नौ मारे गए और एक को हिरासत में ले लिया गया। मुंबई हमलों को अंजाम देने वाले आतंकवादी पहले पाकिस्तान के झंडे वाले एक मालवाहक जहाज पर चढ़े, फिर एक भारतीय मछली पकड़ने वाले जहाज पर कब्ज़ा कर लिया और उसके चालक दल की हत्या कर दी। मुंबई के तट पर पहुँचने के बाद, उन्होंने गेटवे ऑफ़ इंडिया के नज़दीक स्थित ससून डॉक्स और बधवार पार्क तक पहुँचने के लिए हवा वाली नावों का इस्तेमाल किया।
मुंबई हमले (26/11) के दोषी तहव्वुर राणा को जल्द भारत लाया जाएगा। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को उसकी प्रत्यर्पण अपील खारिज कर दी। राणा ने 13 नवंबर 2024 को निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की थी। राणा को 2009 में FBI ने गिरफ्तार किया था। इसके बाद भारत ने अमेरिकी अदालत में ठोस सबूत पेश कर उसके प्रत्यर्पण की मांग की थी। हालांकि, राणा ने प्रत्यर्पण से बचने के लिए हर पैंतरा आजमाया, लेकिन सफल नहीं रहा। आखिरकार, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने भारत-अमेरिका के बीच हुए प्रत्यर्पण संधि के तहत तहव्वुर को भारत लाने की मंजूरी दे दी है।