पटना। बिहार में चुनावी साल के बीच कांग्रेस ने महिलाओं को लुभाने के लिए एक नई योजना की घोषणा की है, लेकिन इसकी शुरुआत से ही विवाद गहराता जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने ऐलान किया है कि पार्टी राज्य की 5 लाख महिलाओं को मुफ्त सैनिटरी पैड वितरित करेगी।
खास बात यह है कि इन पैड्स के कवर पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तस्वीर, “नारी न्याय, महिला सम्मान” का स्लोगन और ‘माई-बहन मान योजना’ का प्रचार छपा होगा। इस योजना के तहत 2500 रुपये की सम्मान राशि देने का वादा भी किया गया है।
हालांकि, इस पूरे अभियान में राहुल गांधी की तस्वीर का इस्तेमाल किए जाने पर अब कांग्रेस की मानसिकता पर सवाल उठ रहे हैं। सवाल यह उठता है कि महिलाओं की जरूरत से जुड़ी वस्तु पर एक पुरुष नेता की तस्वीर आखिर क्यों? क्या महिला सम्मान के नाम पर कांग्रेस चुनावी स्टंट कर रही है?
भाजपा और जेडीयू ने साधा निशाना
इस योजना की घोषणा के कुछ ही घंटों के भीतर भाजपा और जेडीयू ने कांग्रेस पर करारा हमला बोला है। भाजपा प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, “सैनिटरी पैड पर राहुल गांधी की तस्वीर लगाना महिलाओं की गरिमा और स्वाभिमान का अपमान है। यह साफ दर्शाता है कि कांग्रेस महिलाओं को केवल एक वोट बैंक समझती है, न कि एक सम्माननीय नागरिक।”
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा महिलाओं के मुद्दों को केवल चुनावी जरूरत समझा है, और अब सैनिटरी पैड जैसे संवेदनशील विषय पर भी राजनीतिक ब्रांडिंग करके महिलाओं के आत्मसम्मान से खिलवाड़ किया जा रहा है।
कांग्रेस का तर्क और चुनावी रणनीति
वहीं कांग्रेस की ओर से इसे महिला सशक्तिकरण से जुड़ी पहल बताया जा रहा है। राजेश कुमार ने कहा कि यह योजना जरूरतमंद महिलाओं के स्वास्थ्य, स्वच्छता और जागरूकता के लिए चलाई जा रही है।
लेकिन सवाल यह भी है कि जब योजना महिलाओं के लिए है, तो उसका चेहरा महिला नेता क्यों नहीं? क्या कांग्रेस में महिलाओं की भूमिका सिर्फ प्रचार सामग्री तक सीमित है और असली चेहरा अब भी पुरुष नेता ही होंगे?
‘माई बहन मान योजना’ या ‘मजबूरी में राजनीतिक प्रचार’?
विपक्ष का तर्क है कि यह पूरा अभियान कांग्रेस के असली एजेंडे को उजागर करता है चुनाव से पहले महिलाओं को साधने की रणनीति, जिसमें असल मुद्दों से ज्यादा प्रचार को महत्व दिया जा रहा है। सैनिटरी पैड पर किसी पुरुष नेता की तस्वीर लगाना ना सिर्फ असंवेदनशील है, बल्कि यह महिलाओं की निजता और गरिमा के खिलाफ भी माना जा सकता है।
बिहार में महिलाओं की आबादी और उनके वोट का महत्व सभी राजनीतिक दल जानते हैं। लेकिन महिलाओं के अधिकार और सम्मान के नाम पर इस तरह की प्रचारात्मक रणनीति यह सवाल जरूर खड़ा करती है कि क्या कांग्रेस अब भी 21वीं सदी की महिलाओं को केवल एक सहानुभूति आधारित टारगेट ग्रुप के रूप में देखती है?
सैनिटरी पैड एक जरूरी स्वास्थ्य सुविधा है, लेकिन उस पर राजनीतिक चेहरों की छपाई कहीं न कहीं इसकी गंभीरता और उद्देश्य दोनों को हल्का कर देती है।