नहीं रहे 20 रुपए में लोगों का इलाज करने वाले डॉ. एमसी डावर, हर दिन 100 लोगों का करते थे उपचार

नहीं रहे 20 रुपए में लोगों का इलाज करने वाले डॉ. एमसी डावर, हर दिन 100 लोगों का करते थे उपचार

मध्यप्रदेश। महंगाई के इस जमाने में मात्र 20 रुपए में क्या कोई अच्छा इलाज पा सकता है? जवाब ‘न’ होगा। अगर यह सवाल आप मध्यप्रदेश में किसी से पूछेंगे तो आपको इसका जवाब ‘हां’ में मिलेगा। इस जवाब का कारण थे डॉ. एमसी डावर, वे 20 रुपये की न्यूनतम लागत पर लोगों को उपचार प्रदान करने के लिए जाने जाते थे।

नेक काम के चलते डॉ. एमसी डावर को 77 वर्ष की उम्र में गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। डॉ. डावर ने 1972 में जबलपुर में 2 रुपये की लागत पर लोगों को उपचार प्रदान करना शुरू किया था। वह हर दिन कम से कम 100 रोगियों को उपचार प्रदान करते थे और केवल 20 रुपये लेते थे।

चिकित्सा पेशा लोगों की सेवा करने के लिए :

डॉ. डावर ने कहा था कि, “मेरे शिक्षक ने एक बार मुझसे कहा था कि चिकित्सा पेशा लोगों की सेवा करना है, न कि उनका खून चूसना। इन शब्दों ने मेरे जीवन की दिशा बदल दी और इसीलिए मैंने कम से कम लागत पर लोगों का इलाज करना शुरू कर दिया।”

विभाजन के बाद भारत आये :

डॉ. मुनीश्वर चंद्र डावर का जन्म 16 जनवरी, 1946 को पाकिस्तान में हुआ था। भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद, उनका परिवार पंजाब के जालंधर में चला गया। उन्होंने जालंधर में अपनी स्कूली शिक्षा प्राप्त की और बाद में एमबीबीएस की डिग्री के लिए जबलपुर आ गए। उन्होंने 1965 में मेडिकल कोर्स पूरा किया और एक डॉक्टर के रूप में सेना में शामिल हो गए।

1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान सैनिकों का इलाज :

डॉ. डावर ने बताया था कि, “एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद मुझे सेना में डॉक्टरों की भर्ती के बारे में पता चला। यह एक कठिन प्रतियोगिता थी और 533 उम्मीदवारों ने इस पद के लिए आवेदन किया था लेकिन केवल 23 का चयन हुआ। मैंने 9वीं रैंक हासिल की। ​​1971 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान मैंने सैनिकों का इलाज किया लेकिन बाद में मैंने आम लोगों की सेवा करने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला किया।”

उन्होंने नवंबर 1972 में जबलपुर में प्रैक्टिस शुरू की थी। शुरुआत में मैं वे इलाज के लिए 2 रुपए लेते थे। 1986 में फीस 3 रुपए थी, 1997 में 5 रुपए और 2012 में 10 रुपए थी। कुछ समय बाद उन्होंने अपनी फीस बढ़ाकर 20 रुपए कर दी थी।

आस-पास के गांवों से भी लोग डॉ. डावर से इलाज के लिए जबलपुर आते थे। डॉ. डावर जब फोन आया था कि, मुझे पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा तो वे बहुत खुश हुए थे।

डॉ. डावर ने 4 जुलाई 2025 को जबलपुर स्थित उनके आवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन पर सीएम डॉ. मोहन यादव ने दुःख जताते हुए कहा – “पद्मश्री डॉ. एमसी डावर जी के निधन का समाचार अत्यंत दुखद है। यह जबलपुर ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण प्रदेश के लिए अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी पुण्यात्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें। विगत दिनों आपसे हुई भेंट में मुझे जनसेवा के प्रति आपके समर्पण से प्रेरणा मिली थी। आपके देवलोकगमन से मानव सेवा और लोक कल्याण के क्षेत्र में गहरी रिक्तता आई है।”


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