रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सुरक्षा के लिहाज से कमजोर रहकर कभी भी शांति प्राप्त नहीं की जा सकती है, केवल मजबूत होकर ही हम बेहतर विश्व के लिए काम कर सकते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ का जिक्र करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा, मुझे लगता है कि एयरो इंडिया के रूप में एक और ‘महाकुंभ’ शुरू हो रहा है। जहां प्रयागराज महाकुंभ ‘आत्म-खोज का कुंभ’ है, वहीं एयरो इंडिया का महाकुंभ ‘अनुसंधान का कुंभ’ है।’ यह अनिश्चितताओं की दुनिया में भारतीय मिट्टी की ताकत को प्रदर्शित करता है।
भारत हमेशा शांति का समर्थक
बेंगलुरु में सोमवार को एयरो इंडिया 2025 के उद्घाटन के बाद राजनाथ ने कहा कि एक बड़ा देश होने के नाते भारत हमेशा शांति और स्थिरता का समर्थक रहा है। हमारे लिए भारत की सुरक्षा या शांति एक दूसरे से अलग नहीं है। एयरो इंडिया में विभिन्न देशों से आए हमारे मित्रों की उपस्थिति इस बात का प्रमाण है कि हमारे साझेदार एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के हमारे दृष्टिकोण को साझा करते हैं।
भारत ने किसी देश पर हमला नहीं किया
सिंह ने कहा कि शांति का वट वृक्ष केवल शक्ति की जड़ों पर ही खड़ा हो सकता है। वैश्विक अनिश्चितता के माहौल में भारत एक ऐसा बड़ा देश है जहां शांति और समृद्धि है। उन्होंने कहा, हमने न तो कभी किसी देश पर हमला किया है और न ही हम किसी शक्ति संघर्ष में शामिल रहे हैं। बड़े देश के तौर पर भारत हमेशा शांति और स्थिरता का हिमायती रहा है।
निजी क्षेत्र बराबर का भागीदार बने
इससे पहले रक्षा मंत्री ने येलहांका वायुसेना अड्डे पर एशिया की सबसे बड़ी ‘एयरोस्पेस’ और रक्षा प्रदर्शनी माने जाने वाले ‘एयरो इंडिया’ के 15वें संस्करण का उद्घाटन किया। एयरो इंडिया की थीम ‘द रनवे टू ए बिलियन अपार्चुनिटीज’ की ओर इशारा करते हुए राजनाथ ने कहा, मेरा मानना है कि इससे अधिक उपयुक्त थीम नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि निजी क्षेत्र रक्षा उद्योग में बराबर का भागीदार बने।
तकनीकी प्रगति का भी होगा प्रदर्शन
राजनाथ सिंह ने कहा कि एयरो इंडिया का पहला महत्वपूर्ण उद्देश्य न केवल हमारी औद्योगिक क्षमता बल्कि हमारी तकनीकी प्रगति को भी पूरी दुनिया के सामने प्रदर्शित करना है। इससे भी बड़ा उद्देश्य मित्र देशों के साथ हमारे संबंधों को और मजबूत करना है। एयरो इंडिया के माध्यम से दुनियाभर से सरकारी प्रतिनिधि, उद्योग जगत के दिग्गज, वायुसेना के अधिकारी, विज्ञानी, रक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ, स्टार्ट-अप, शिक्षाविद और विभिन्न अन्य हितधारक एक साथ आए हैं।