नई दिल्लीः Delhi Election Result: दिल्ली विधानसभा चुनाव के ताजा नतीजों और रुझानों से अब साफ हो गया है कि भाजपा 48 सीटों के साथ दो तिहाई सीटें जीत रही है। 1993 के विधानसभा चुनावों में भी भाजपा ने इसी तरह का प्रदर्शन करते हुए कुल 49 सीटों पर जीत हासिल की थी। उसके बाद 32 सालों का सूखा समाप्त करते हुए भाजपा का प्रदर्शन उसी ट्रैक पर दोहराया गया है। दूसरी तरफ जीत की हैट्रिक लगाने वाली आम आदमी पार्टी को न सिर्फ सत्ता गंवानी पड़ी है बल्कि अपमानजनक हार का भी सामना करना पड़ा है। यहां तक कि पार्टी के सबसे बड़े नेता और संस्थापक, संयोजक और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी चुनाव हार गए।
तुमने हमारी गद्दी छीनी, हमने तुम्हारी छिनवाई
Delhi Election Result:आप की इस हार से भाजपा तो गदगद है ही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी खुश है। दरअसल, कांग्रेस आप की हार से तीन बड़ी वजहों से अपनी खुशी का इजहार कर रही है। पहली वजह तो यह है कि जिस दल ने उसे हराकर दिल्ली की सत्ता छीनी थी, उससे छत्ता छिन गई है और उसे हराने और सत्ता से बेदखल करने में कांग्रेस ने बड़ी भूमिका निभाई है। इसे इस तरह से समझा जा सकता है कि दिल्ली की 12 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस की वजह से आम आदमी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा है। इनमें से दो सीटें तो ऐसी हैं, जहां आप के उम्मीदवार 400 वोटों से भी कम अंतर से हारे हैं।
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5 साल में बढ़ा 2 फीसदी जनाधार
दूसरी वजह यह है कि कांग्रेस को अब भविष्य में अपने जनाधार में इजाफा होने का अनुमान है क्योंकि 2013 से उसके वोट परसेंट में हो रही गिरावट अब पहली बार चढ़ने लगा है। 2013 में कांग्रेस को 24.6 फीसदी वोट मिले थे जो 2015 में गिरकर 9.7 फीसदी हो गए थे। 2020 में यह गिरकर और नीचे 4.26 फीसदी पर चला गया लेकिन पांच साल बाद उसमें 2.10 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है। हालिया चुनावों में कांग्रेस को भले ही एक भी सीट हासिल नहीं हुई लेकिन उसका वोट शेरय बढ़कर 6.36 फीसदी हो गया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि पांच साल बाद उनकी पार्टी का वोट शेयर और बढ़ जाएगा और सत्ता में वापसी कर सकती है।
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पंजाब में अगली सरकार के आसार
कांग्रेस की खुशी की तीसरी वजह पंजाब से जुड़ी है, जो ज्यादा बड़ी है। कांग्रेस को ऐसा लगता है कि दिल्ली में सियासी जमीन खोने के बाद अब पंजाब में भी उसका सफाया हो जाएगा क्योंकि इस हार से न केवल पंजाब में आप के अंदर गुटबाजी तेज होगी बल्कि आप नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटेगा और इसका फायदा अंतत: कांग्रेस को मिलेगा क्योंकि वहां भाजपा अभी भी बहुत कमजोर है, जबकि शिरोमणि अकाली दल तीसरे नंबर की पार्टी है। पंजाब में भी 2022 के विधानसभा चुनावों में आप ने कांग्रेस को ही हराकर सत्ता पाई थी। 2027 में पंजाब में विधानसभा चुनाव होने हैं। बता दें कि 2022 के पंजाब चुनाव में 177 सदस्यों वाली विधानसभा में आप ने 92 सीटें जीतकर भगवंत मान के नेतृत्व में सरकार बनाई थी, जबकि कांग्रेस 18 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर रही थी। अकाली दल को तब तीन, भाजपा को दो और बसपा को एक सीट मिली थी। कांग्रेस नेताओं को लगता है कि दिल्ली चुनाव में आप की हार से दोनों ही राज्यों में लाखों कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मनोबल बढ़ेगा और अंतत: वे जीत के निरंतर प्रयासों की तरफ बढ़ सकेंगे और दोनों ही राज्यों में कांग्रेस की सरकार बना सकेंगे।