दिल्ली में 38 अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार: क्या है इनके घुसपैठ का तरीका? कैसे किया जा रहा डिपोर्ट?

दिल्ली में 38 अवैध बांग्लादेशी गिरफ्तार: क्या है इनके घुसपैठ का तरीका? कैसे किया जा रहा डिपोर्ट?

नई दिल्‍ली: दिल्ली पुलिस ने एक बार फिर दिल्ली के अलग-अलग इलाकों से 38 बांग्लादेशियों को पकड़ा है। यह सभी बांग्लादेशी कुच बिहार के रास्ते दिल्ली पहुंचे थे। जानकारी मिली है कि दिल्ली से पहले यह सभी बांग्लादेशी नूहं में रहकर काम कर रहे थे। दिहाड़ी कम मिलने के कारण यह सभी अवैध बांग्लादेशी नूंह से दिल्ली में आकर रहने लगे और फैक्ट्री में काम करने लगे। पकड़े गए 38 बांग्लादेशियों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। उत्तरी-पश्चिमी जिला पुलिस उपायुक्त (DCP) भीष्म सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि मई महीने भर चले एक निगरानी अभियान के दौरान इन लोगों पर नजर रखी गई और फिर अचानक छापेमारी कर इन्हें पकड़ा गया है।

गिरफ्तार किए गए लोगों में 12 महिलाएं और तीन बच्चे भी शामिल हैं। सभी ने पूछताछ में यह स्वीकार किया कि वे बांग्लादेश से भारत में अवैध तरीके से घुसे थे और वर्षों से दिल्ली में रह रहे हैं।बता दें कि अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस का एक्शन तेज है। दिल्ली पुलिस अब तक 1000 से ज्यादा घुसपैठिये डिपोर्ट कर चुकी हैं।

लेकिन सवाल ये है कि ये अवैध बांग्लादेशी भारत में घुसपैठ कैसे कर रहे हैं? दरअसल, दिसंबर 2024 में अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने जो ड्राइव शुरू की थी वह पहलगाम में आतंकी हमले के बाद और तेज हो गई है। पिछले 6 महीने में दिल्ली पुलिस कई सिंडिकेट का भी भंडाफोड़ कर चुकी है।

ये सिंडिकेट अवैध बांग्लादेशियों को देश में अवैध तरीके से प्रवेश से लेकर उन्हें राजधानी तक पहुंचाने और यहां उनका जाली दस्तावेज बनवाने और नौकरी दिलाने तक में मदद करते हैं। दिल्ली पुलिस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार अब तक पुलिस ने करीब करीब 1000 अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों को FRRO यानी विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय की मदद से बांग्लादेश डिपोर्ट कर दिया है। वहीं करीब 500 अवैध बांग्लादेशियों की पहचान भी की जा चुकी है, जिनके डिपोर्टेशन की प्रक्रिया चल रही है।

अवैध रूप से रह रहे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों के खिलाफ पहलगाम हमले के बाद वेरिफिकेशन ड्राइव और भी तेज कर दी गई है। दिल्ली पुलिस ने अभी हाल में ही एक सिंडिकेट का भंडाफोड़ भी किया था। जब पुलिस ने जांच की तो पता लगा कि अवैध घुसपैठिए एयरलाइंस और हीं प्राइवेट फर्म तक में नौकरी कर रहे।यही नहीं इनके से कई घुसपैठियों के बच्चे EWS कोटे से दिल्ली के स्कूलों में पढ़ रहे थे।

जानकारी के मुताबिक, दक्षिणी दिल्ली से अब तक 67 अवैध बांग्लादेशियों को डिपोर्ट किया गया है। वहीं, दक्षिण पश्चिम जिले से 60, दक्षिण पूर्वी जिले से 64, उत्तर पूर्वी जिला से नौ, बाहरी दिल्ली से 99, नई दिल्ली से चार, रोहिणी से 15, सेंट्रल से 58, उत्तरी से 68, पूर्वी से 7, पश्चिम से 27, शाहदरा से 6, द्वारका से 48, उत्तर पश्चिम से 31, जबकि सबसे ज्यादा उत्तरी बाहरी दिल्ली से 127 अवैध बांग्लादेशियों को अब तक डिपोर्ट किया जा चुका है।

हालांकि, पुलिस सूत्रों का कहना है कि इससे कहीं ज्यादा अवैध बांग्लादेशियों की पहचान की जा चुकी है और उनको डिपोर्ट करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। जांच के दौरान दिल्ली पुलिस ने कई ऐसे सिंडिकेट का भंडाफोड़ किया है जो अवैध-बांग्लादेशियों को देश के अंदर एंट्री कराने से लेकर के उन्हें बंगाल-असम के रास्ते दिल्ली लाने और फिर यहां पर बसाने तक में उनकी मदद करते हैं घुसपैठ के रूट अलग-अलग होता है लेकी कुछ फिक्स मोड्यूल के जरिए ही घुसपैठ करते हैं ये लोग।

जिसमें से पहला मॉड्यूल बांग्लादेश के अंदर ही काम करता है जो उनकी पहचान करता है जो भारत आना चाहते हैं। इसके बाद वह उन्हें बॉर्डर पार करवा देता है। ये लोग फिर में जंगल के अलग-अलग रास्तों और डंकी रूट से भारत में घुस जाते हैं।

घुसपैठ का दूसरा मोड्यूल भारत में काम करता है। भारत में एंट्री कर लेने के बाद मोड्यूल 2 सक्रिय हो जाता है और वह अवैध घुसपैठियों को किसी तरीके से पास के रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचाता है। वहां उनका टिकट कटा कर उन्हें कहीं आगे भेज देता है।

तीसरी रणनीति के अंतर्गत इन बांग्लादेशी घुसपैठियों को ट्रेन या बस के माध्यम से या तो कोलकाता या ऐसे ही किसी सुरक्षित समझे जाने वाले स्थान पर ले जाया जाता है जहाँ पूछ ताछ की गुंजाइश कम हो।

चौथे पड़ाव पर पहुंचने के साथ ही चौथे मॉड्यूल का काम शुरू हो जाता है। चौथे मॉड्यूल का काम दिल्ली, कोलकाता या कहीं भी घुसपैठियों के आते ही उनके रहने के लिए कोई सुरक्षित जगह दिलाना होता है और साथ ही कोई भी छोटा-मोटा काम दिलाना जिससे उनकी दिनचर्या और ज़िंदगी चल पड़े।

शुरुआत में ज्यादातर अवैध घुसपैठिए कूड़ा बीनने, रिक्शा चलाने जैसा काम ही करते हैं। इसके बाद उनके अवैध तरीके से दस्तावेज बनवा दिए जाते है।

पकड़े जाने ओर इनके डिपोर्ट के प्रक्रिया की अगर बात करें तो अगर एक बार पुलिस किसी घुसपैठियों को पकड़ती है तो उसके पास से बरामद दस्तावेजों की जांच की जाती है। अगर दस्तावेज फर्जी पाए गए हैं और एक बार यह तय हो जाता है कि सामने वाला अवैध तरीके से देश में एंट्री करके रह रहा है तो फिर पुलिस उन्हें एफआरआरओ के हवाले कर देती है जहां से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट किया जाता है।


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