Madhya Pradesh Foundation Day: भारत के बीचों-बीच बसे राज्य मध्यप्रदेश को ‘भारत का दिल’ भी कहा जाता है। हर साल 1 नवंबर को इसका स्थापना दिवस मनाया जाता है। इस बार यानी 2025 में मध्य प्रदेश के गठन को 70 साल पूरे हो जाएंगे। इन 70 सालों में इस राज्य ने बहुत कुछ देखा है। जब यह बना, तो राजधानी किसे बनाया जाए इसे लेकर लंबी बहस चली। इसने भोपाल गैस कांड जैसी भयानक त्रासदी का दर्द भी झेला है। 45 साल बाद इसका विभाजन हुआ और इससे अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना। इन सब मुश्किलों से निकलकर, आज मध्य प्रदेश देश के तरक्की करते राज्यों की लिस्ट में खड़ा है। आइए, जानते हैं कि ‘भारत का दिल’ कहलाने वाला यह राज्य आखिरकार कैसे अस्तित्व में आया।
कैसे अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश?
भारत को आजादी मिलने के बाद 9 साल बीत चुके थे। राज्यों की सीमाएं भाषाई और सांस्कृतिक असमानता के कारण विवादों में थीं। 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम लागू किया गया, जिसके तहत देश में 14 नए राज्य बनाए गए। इन्हीं में से एक था मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh)।
इन चार राज्यों से बना था मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश (Nagpur Capital), मध्य भारत (Gwalior-Indore Capital), विंध्य प्रदेश (Rewa Capital) और भोपाल राज्य (Bhopal State)। इन चारों के एकीकरण से मध्यप्रदेश भारत का दिल बना।
भोपाल कैसे बना मध्य प्रदेश की राजधानी?
कोई भी नया राज्य बनता है, तो सबसे पहले जरूरी होता है कि उसकी एक राजधानी हो। जब मध्य प्रदेश का गठन हुआ, तो राजधानी किसे बनाया जाए। इस बात पर खींचतान शुरू हो गई।
राजधानी बनने के लिए कई शहरों ने अपनी दावेदारी पेश की थी। इसमें सबसे आगे थे ग्वालियर और इंदौर। यहां तक कि राज्य पुनर्गठन आयोग ने भी जबलपुर का नाम सुझाया था।
लेकिन, इन सभी शहरों की आपसी लड़ाई और खींचतान के बावजूद, आखिरकार भोपाल को मध्य प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया।
भोपाल को राजधानी क्यों चुना गया?
सरकारी भवनों की उपलब्धता: भोपाल में पहले से कई सरकारी इमारतें मौजूद थीं जो प्रशासनिक कार्यों के लिए उपयुक्त थीं।
राजनीतिक कारण: भोपाल के तत्कालीन नवाब और निजाम से जुड़ी राजनीतिक गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए भोपाल को राजधानी बनाया गया।
भौगोलिक स्थिति: राज्य के केंद्र में स्थित होने के कारण यह प्रशासनिक दृष्टि से सुविधाजनक था।
कौन थे मध्य प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री
जानकारी के मुताबिक राज्य पुनर्गठन के बाद प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में 1 नवंबर 1956 को पंडित रविशंकर शुक्ल ने शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के दो महीने बाद ही शुक्ल जी का निधन हो गया, लेकिन उन्होंने मध्य प्रदेश राज्य की मजबूती से नींव रख दी थी।
प्रदेश ने झेली विश्व की सबसे बड़ी त्रासदी
औद्योगिक विकास के इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी त्रासदी झेलने का दुर्भाग्य भी मध्य प्रदेश के खाते में ही है। प्रदेश की राजधानी भोपाल का गैस कांड आज भी विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक ट्रेजेडी (आपदा) के रूप में दर्ज है।
2-3 दिसंबर 1984 की रात यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन कारखाने से निकली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस ने एक ही रात में दस हजार से अधिक लोगों की जान ले ली थी। इस गैस के प्रभाव से पचास हज़ार लोग सीधे तौर पर प्रभावित हुए थे, वहीं पांच लाख लोगों में इसका असर दिखाई दिया था।
45 साल बाद प्रदेश का विभाजन
2000 में, राज्य का पुनर्गठन और विभाजन हुआ और छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) को अलग राज्य बनाया गया। इस विभाजन ने मध्य प्रदेश के आकार को छोटा कर दिया, लेकिन यह अब भी भारत का दिल बना हुआ है।
