उत्तराखंड की धामी सरकार ने एक अहम फैसला लिया है जो शिक्षा के क्षेत्र में एक नई पहल साबित होगा। राज्य सरकार ने अपने सभी मान्यता प्राप्त मदरसों के पाठ्यक्रम में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को शामिल करने का फैसला किया है। इससे मदरसे के छात्र भारतीय सेना की वीरता और देशभक्ति की प्रेरणादायक कहानी से रूबरू होंगे। यह कदम शिक्षा में राष्ट्रवाद और सैन्य गौरव को जोड़ने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है?
ऑपरेशन सिंदूर एक साहसिक सैन्य अभियान था जिसे भारतीय सेना ने 6 और 7 मई की रात को अंजाम दिया था। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में कुल 9 आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया। ये ठिकाने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े हुए थे। इस अभियान में 100 से अधिक आतंकवादियों को खत्म किया गया, जो भारत के खिलाफ आतंकवादी हमलों की योजना बना रहे थे। यह ऑपरेशन भारतीय सेना की सटीकता और रणनीतिक क्षमता का बेहतरीन उदाहरण है। खास बात यह रही कि इस कार्रवाई में केवल आतंकवादी अड्डों को ही निशाना बनाया गया और किसी भी पाकिस्तानी सैन्य या नागरिक स्थल को नुकसान नहीं पहुंचाया गया। इससे भारत की आतंकवाद के खिलाफ ‘नो टॉलरेंस’ नीति साफ झलकती है।
मदरसों में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ क्यों शामिल किया जाएगा?
उत्तराखंड सरकार का मानना है कि बच्चों को केवल धार्मिक शिक्षा ही नहीं बल्कि देशभक्ति और सैन्य इतिहास की भी जानकारी होनी चाहिए। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे विषयों को शामिल करने से युवा पीढ़ी में देशभक्ति की भावना मजबूत होगी और वे अपने देश की सुरक्षा के महत्व को समझ पाएंगे। राज्य में 451 पंजीकृत मदरसों में करीब 50 हजार से अधिक छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, जो अब इस नयी पहल के तहत भारतीय सेना के वीरता और बलिदान की कहानी जानेंगे। यह कदम मदरसों की शिक्षा को और व्यापक और समृद्ध बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
उत्तराखंड में मदरसों की स्थिति
उत्तराखंड में कुल 451 मदरसे मदरसा शिक्षा परिषद से पंजीकृत हैं। हालांकि, लगभग 500 मदरसे बिना पंजीकरण के भी काम कर रहे हैं। इन मदरसों में धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ अब ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जैसे अध्याय जोड़कर छात्रों को आधुनिक और राष्ट्रवादी दृष्टिकोण देना सरकार की प्राथमिकता है।