बच्चों की गवाही ने पिता को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे, कोर्ट ने कहा- मासूमों की गवाही विश्वसनीय, जानिए क्या था पूरा मामला

बच्चों की गवाही ने पिता को पहुंचा दिया सलाखों के पीछे, कोर्ट ने कहा- मासूमों की गवाही विश्वसनीय, जानिए क्या था पूरा मामला

बरेली। आठ साल की बेटी और 11 साल के बेटे की गवाही ने पिता को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा कराई। बच्चों ने कोर्ट में बयान दिया कि उनके पिता, मां के साथ आए दिन झगड़ा करते और बाल पकड़कर लात-घूंसों से पीटते थे। 29 अगस्त को भी पिता ने रात में मां के साथ खूब मारपीट की। अगले दिन मां ने फांसी लगा ली।

कोर्ट ने कहा कि बच्चे कभी भी अपने पिता के विरुद्ध झूठी गवाही नहीं दे सकते। फास्ट ट्रैक कोर्ट प्रथम के न्यायाधीश रवि कुमार दिवाकर ने पत्नी को आत्महत्या को उकसाने के लिए पति विकास उपाध्याय उर्फ विक्की को दोषी माना और 10 वर्ष सजा के साथ ही 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने दो कविताओं के माध्यम से जीवन के महत्व के बारे में भी बताया है।

यह है पूरा मामला
घटनाक्रम बारादरी थाना क्षेत्र का है। सुभाष नगर के मढ़ीनाथ निवासी कामिनी सक्सेना ने एडीजी के आदेश के बाद बारादरी थाने में तीन अक्टूबर, 2023 को प्राथमिकी लिखाई। उन्होंने पुलिस को बताया कि उन्होंने अपनी बेटी वंदना की शादी वर्ष 2011 में संजय नगर निवासी विकास उपाध्याय उर्फ विक्की से की थी। आरोप था कि शादी के बाद बेटी को पता चला कि विकास शराबी है और जुआ, सट्टा भी खेलता है। आरोप था कि विकास वंदना के साथ काफी मारपीट भी करता था। साथ ही ससुराल वाले दहेज की भी मांग करते थे। इस बात की जानकारी वंदना ने अपने परिवार वालों को भी दी थी। इसके बाद वंदना और उसके परिजनों ने ससुरालियों को काफी समझाने का प्रयास किया मगर उन पर कोई फर्क नहीं पड़ा। इसी दौरान वंदना ने दो संतानों को जन्म दिया। वर्तमान में बेटे आयुष्मान की उम्र करीब 11 वर्ष, बेटी रितिका की उम्र करीब आठ वर्ष है। इसके बावजूद विकास वंदना के साथ मारपीट करता था। आरोप है कि 29 अगस्त, 2023 को वंदना ने उन्हें फोन किया और कहा कि उसे यहां से आकर ले जाएं। ये लोग उसे मार देंगे। इसके बाद कामिनी ने काफी समझाया कि वह सुबह आएंगे। उस समय रात काफी हो चुकी थी।

इसके बाद अगले दिन जेठानी की बेटी आरती ने फोन कर कहा कि उनकी बेटी की मृत्यु हो गई। सभी लोग उसे राममूर्ति अस्पताल लेकर गए हैं। वहां पहुंचे तो पता चला कि लोग वंदना को लेकर घर आ गए। इसके बाद शव छोड़कर सभी फरार हो गए। बारादरी पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया, जिसमें फंदे पर लटकने की वजह से मृत्यु आई। पुलिस ने मामले में प्राथमिकी नहीं लिखी तो मां ने एडीजी के आदेश पर बारादरी थाने में प्राथमिकी लिखाई। सरकारी वकील दिगंबर सिंह ने कोर्ट में आठ गवाह पेश किए। वंदना के 11 वर्ष के बेटे आयुष्मान और आठ वर्ष की बेटी रितिका ने भी गवाही दी। दोनों बच्चों ने कहा कि पापा शराब के नशे में आते और मां के साथ मारपीट करते थे। 29 अगस्त को भी पापा ने मम्मी के बाल पकड़कर खींचा और लात-घूंसों से पीटा। सुबह जब मामा उन्हें स्कूल से लेने गए तो पता चला कि मां की मृत्यु हो गई है।

पापा नहीं भरते थे मेरी फीस, मम्मी मांगती रुपये तो मारते
आठ साल की बेटी रितिका ने कोर्ट में गवाही दी कि पापा मेरे स्कूल की फीस भी नहीं देते। मां अगर अपने खर्चे को रुपये मांगती तो पापा पिटाई करते थे। 29 अगस्त को वह पापा के शोर की वजह से उठ गई। देखा कि पापा मम्मी को बाल पकड़कर मार रहे थे काफी देर बाद मां ने दोनों भाई बहनों को सुला दिया। अगले दिन जब मामा उन्हें स्कूल से लेने आए तो पता चला कि मां खत्म हो गई। इसी दौरान बेटे ने गवाही दी कि पापा मां से कहते थे कि तू मर क्यों नहीं जाती।

बच्चों की गवाही को विश्वसनीय माना
कोर्ट ने दोनों बच्चों की गवाही को विश्वसनीय माना और कहा कि सामान्यतः कोई भी बच्चा अपने पिता के विरुद्ध झूठी गवाही नहीं दे सकता। इसके बाद कोर्ट ने आरोपी विकास को पत्नी वंदना को आत्महत्या को उकसाने का दोषी माना और और 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है।


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