Supreme Court of India: सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी. आर. गवई ने पटाखों पर बैन को लेकर एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की है, जिससे दिवाली और अन्य त्योहारों के दौरान पटाखों के इस्तेमाल को लेकर देशभर में बहस छिड़ गई है। शुक्रवार को कोर्ट में दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री और निर्माण पर एक साल के प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान CJI गवई ने स्पष्ट कहा कि साफ और प्रदूषण मुक्त हवा का अधिकार सिर्फ दिल्ली के ‘एलीट’ नागरिकों तक सीमित नहीं रह सकता, बल्कि यह पूरे देश के हर नागरिक को मिलना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि पटाखों पर प्रतिबंध लगाया जाना है, तो वह केवल दिल्ली-एनसीआर तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि पूरे देश में समान रूप से लागू होना चाहिए।
Read More: तमिलनाडु विधानसभा की तैयारियां तेज! BJP नेता अन्नामलाई ने थालापति विजय पर साधा निशाना, कही ये बात
कुछ लोगों का जीविकोपार्जन है पटाखा उद्योग, उनके लिए SC का निर्णय क्या ?
Supreme Court of India: मुख्य न्यायाधीश ने अमृतसर का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां सर्दियों में प्रदूषण का स्तर दिल्ली से भी अधिक गंभीर हो जाता है। ऐसे में पटाखों से होने वाले प्रदूषण पर अगर रोक लगाई जाती है, तो वह नीति पूरे देश में एक समान होनी चाहिए। अदालत ने इस मामले में केंद्र सरकार के अधीन कार्यरत एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) से भी जवाब मांगा है कि वह इस प्रतिबंध को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने को लेकर क्या विचार कर रहा है।
सुनवाई के दौरान पटाखा व्यापारियों ने दलील दी कि दिल्ली-एनसीआर में लगाए गए प्रतिबंध से हजारों परिवारों की आजीविका प्रभावित हो रही है, जिनका जीवन पटाखा उद्योग पर निर्भर है। इस पर CJI ने सहानुभूति जताते हुए कहा कि वास्तव में इस प्रकार के प्रतिबंधों से गरीब मजदूरों को सबसे अधिक नुकसान होता है, लेकिन प्रदूषण एक राष्ट्रीय संकट है और इसका समाधान भी राष्ट्रीय स्तर पर ही ढूंढना होगा।
केवल दिल्ली नहीं पूरे देश के लिए कानून एक
Supreme Court of India: इस सुनवाई में एमिकस क्यूरी के रूप में पेश हुईं वरिष्ठ वकील अपराजिता सिंह ने भी इस पर सहमति जताई कि जब प्रदूषण बढ़ता है, तो संपन्न वर्ग के लोग तो शहर छोड़कर चले जाते हैं, लेकिन आम जनता को उसी जहरीली हवा में रहना पड़ता है। इस पर CJI ने समर्थन जताते हुए कहा कि नीतियों को केवल राजधानी तक सीमित नहीं रखा जा सकता।
अब इस पूरे मामले की अगली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट कोई बड़ा फैसला ले सकता है, जो दिवाली समेत अन्य त्योहारों पर पटाखों के इस्तेमाल को लेकर देशव्यापी नीति की दिशा तय कर सकता है। अगर अदालत का रुख सख्त रहता है, तो आने वाले समय में पूरे भारत में पटाखों पर पूर्ण या आंशिक प्रतिबंध लागू हो सकता है।