आखिर दुआएं काम आईं। सुनीता विलियम्स सकुशल धरती पर लौट आईं हैं। स्पेसएक्स क्रू-9 वापस धरती पर आ गया। आज 19 मार्च को भारतीय समयानुसार रात 3 बजकर 27 मिनट पर स्पलैशडाउन सफल रहा। भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स, जो 286 दिन तक अंतरिक्ष में रहकर विभिन्न मिशनों का हिस्सा बनीं, सफलतापूर्वक पृथ्वी पर वापस लौट आई हैं। इस महत्वपूर्ण मिशन में नासा के साथ एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स का भी अहम योगदान था।
सुनीता की सकुशल वापसी के लिए उनके परिजनों ने भारत में पूजा-अर्चना और यज्ञ-हवन किए, जबकि गुजरात में अखंड ज्योति जलाकर उनकी सुरक्षित वापसी की कामना की गई।
स्पेसएक्स के ड्रैगन कैप्सूल के सुरक्षित लैंडिंग के बाद, नासा और स्पेसएक्स के वैज्ञानिकों और कर्मचारियों ने मिलकर इस उपलब्धि का स्वागत किया, और इसे वैज्ञानिक भाषा में “सफल स्प्लैशडाउन” बताया। जैसे ही कैप्सूल ने समुद्र तल को छुआ, फ्लोरिडा में उपस्थित सभी ने इस ऐतिहासिक सफलता का ताली बजाकर स्वागत किया।
सुनीता विलियम्स का भारत से गहरा कनेक्शन है, खासकर उनके पिता के जरिए। उनका जन्म 19 सितंबर 1965 को अमेरिका के ओहायो राज्य के यूक्लिड शहर में हुआ था। उनके पिता, दीपक पांड्या, गुजरात के मेहसाणा जिले से हैं। वे एक न्यूरोएनाटॉमी विशेषज्ञ थे और 1957 में अमेरिका गए थे, जहां उन्होंने बसने का निर्णय लिया। यहां उन्होंने उर्सलीन बॉनी से विवाह किया, जो कि स्लोवेनिया की मूल निवासी थीं।
सुनीता विलियम्स का पैतृक घर गुजरात के झूलासन में है, जो उनके भारतीय कनेक्शन को और मजबूत करता है। वहीं, उनका ननिहाल स्लोवेनिया में है, जिससे सुनीता का एक अंतरराष्ट्रीय परिवार है। इस मिश्रित पृष्ठभूमि ने उन्हें एक वैश्विक पहचान दिलाई, और वह आज भी दोनों देशों के बीच एक मजबूत पुल के रूप में जानी जाती हैं।