सुकमा। छत्तीसगढ़ के अति नक्सल प्रभावित कहे जाने वाले सुकमा जिले की तस्वीर अब बदलती नजर आ रही है। कुख्यात नक्सली हिड़मा के गांव पूवर्ती में आयोजित एक युवती की शादी में सीआरपीएफ की 150वीं बटालियन के जवान युवती की विदाई में जमकर थिरके और विदाई के समय युवती को नेग भी दिया। जवानों ने ‘भाई’ की भूमिका निभाते हुए युवती की विदाई करवाई।
पूवर्ती गांव कभी नक्सलवाद और भय का पर्याय था। ग्रामीण सुरक्षा बलों से दूरी बनाए रखते थे, लेकिन अब तस्वीर बदल रही है। शादी समारोह में सीआरपीएफ जवानों की भागीदारी ने सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा दिया। इससे पहले जहां पुलिस या सुरक्षा बलों की मौजूदगी से ग्रामीण दूरी बना लेते थे, अब वहीं लोग स्वयं जवानों को परिवार का हिस्सा मानते हुए अपने निजी आयोजनों में आमंत्रित कर रहे हैं।
शांति और विकास की पहल
केंद्र और छत्तीसगढ़ सरकार की ‘नियद नेल्लानार’ योजना और आत्मसमर्पण नीति ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाया है। हाल ही में सुकमा में 16 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया, जिनमें 9 केरलापेंडा गांव के थे। इस आत्मसमर्पण के बाद केरलापेंडा को नक्सल-मुक्त घोषित किया गया और उसे 1 करोड़ रुपये का विकास कोष मिला।
सुरक्षा बलों की सक्रियता, सड़क, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार ने ग्रामीणों के मन में विश्वास पैदा किया है। सीआरपीएफ और राज्य पुलिस की संयुक्त कार्रवाइयों ने नक्सल गतिविधियों पर लगाम लगाई है, जिससे क्षेत्र में शांति स्थापित हो रही है।
जवानों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर नाच-गाकर और उपहार देकर यह साबित किया कि संवेदनशीलता और सहभागिता से भय को भाईचारे में बदला जा सकता है। बता दें कि, केंद्र सरकार ने 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने का लक्ष्य रखा है और पूवर्ती गांव की यह घटना उस दिशा में एक सकारात्मक कदम है।
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जब पूवर्ती गांव की बेटी की विदाई हुई, तो वो सीधे पहुँची सुरक्षाबल के अपने भाइयों के पास – सीआरपीएफ कैंप में।
— Kedar Kashyap (@KedarKashyapBJP) June 25, 2025
150वीं बटालियन के जवानों ने पूरी आत्मीयता के साथ बहन को नेग दिया, आशीर्वाद दिया और खुशी में झूमकर नाचे भी।
जहां कभी डर और सन्नाटा था, आज वहां प्रेम, अपनापन और सुरक्षा का… pic.twitter.com/XrxSEL6Pih