Sheopur News: फसल बर्बादी से टूटे किसान ने की खुदकुशी, भड़का जनाक्रोश, सड़क पर शव रख ग्रामीणों ने किया चक्काजाम

Sheopur News: फसल बर्बादी से टूटे किसान ने की खुदकुशी, भड़का जनाक्रोश, सड़क पर शव रख ग्रामीणों ने किया चक्काजाम

श्योपुरः बेमौसम बारिश ने किसानों की फसल को चौपट कर दी है। अब किसान आत्महत्या जैसे खतरनाक कदम उठाने लगे हैं। ऐसा ही एक मामला मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले से सामने आआ है। यहां बेमौसम बारिश से फसल बर्बाद होने कारण 50 वर्षीय किसान ने आत्महत्या कर ली। किसान ने पेड़ से फांसी लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। इस घटना से पूरे क्षेत्र में शोक की लहर है। इधर अब मामले को लेकर सियासत भी गर्म हो गई है।

पूरा मामला श्योपुर जिले के सिरसोद गांव का है। यहां का रहने 50 वर्षीय किसान कैलाश मीणा 5 बीघा में धान की फसल लगाई थी। कुछ समय पहले ही उसने खेत में पानी के लिए ट्यूबेल कराई थी। इसके लिए उसने कर्ज भी लिया था। तीन दिन से लगातार हो रही बारिश से फसल बर्बाद हो गई, जिसे देखकर वह मानसिक रूप से काफी टूट गया। सुबह वह घर से खेत की ओर निकला और पेड़ में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली। कुछ देर बाद ग्रामीणों ने उसे देखा और ग्रामीणों व पुलिस को इसकी सूचना दी। घटना की जानकारी मिलते ही ग्रामीण मौके पर पहुंचे और शव को नीचे उतारकर जिला अस्पताल लेकर गए, जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद किसान को मृत घोषित कर दिया। घटना की सूचना पर पुलिस टीम भी मौके पर पहुंची और पंचनामा तैयार कर शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा।

विधायक भी पहुंचे अस्पताल, मुआवजे की मांग

किसान की आत्महत्या की जानकारी मिलने के बाज श्योपुर विधायक बाबू जंडेल अपने कार्यकर्ताओं के साथ जिला अस्पताल पहुंचे। उन्होंने किसान के परिजनों से चर्चा की और प्रशासन से मृतक के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा दिलाने की मांग की। विधायक ने कहा कि जिले में लगातार बारिश ने किसानों के हालात खराब कर दिए हैं और सरकार को तुरंत राहत देने की दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए। विधायक और उनके समर्थकों ने एम्बुलेंस को रोकते हुए कहा कि जब तक उचित मुआवजे की घोषणा नहीं की जाती, तब तक शव को लेकर नहीं जाया जाएगा। इस दौरान अस्पताल परिसर में पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को समझाइश देने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। कुछ देर की बहस के दौरान ही प्रशासन ने एम्बुलेंस को रवाना कर दिया।

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परिजनों ने प्रशासन पर लगाए ये गंभीर आरोप

किसान की आत्महत्या के बाद परिजनों और ग्रामीणों में जबरदस्त आक्रोश दिख रहा है। उनका आरोप है कि जिला प्रशासन किसान की पीड़ा को नजरअंदाज कर रहा है। कलेक्टर अर्पित वर्मा लेटलतीफी के चलते अभी तक सर्वे रिपोर्ट तैयार करके भी मुआवजे के लिए प्रस्ताव या जानकारी नहीं भेजी गई है। इससे किसानों को मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है। गृह क्षेत्र में पहुँचने पर किसान के शव को बीच रास्ते में रखकर चक्का जाम कर दिया गया। बड़ी संख्या में किसान और ग्रामीण मुआवजा देने की मांग पर अड़ गए हैं। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि जब तक सरकार उचित आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने के संबंध में ठोस घोषणा नहीं करती, तब तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। घटना स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है, वहीं प्रशासन किसानों को समझाने की कोशिश कर रहा है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सरकार पर साधा निशाना

पूर्व केंद्रीय मंत्री व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (X) पर पोस्ट कर लिखा- प्रदेशभर में हुई अतिवृष्टि से फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गईं, इसी सदमे एवं कर्ज़ के बोझ से दबे जिला श्योपुर के ग्राम सिरसौद निवासी किसान कैलाश मीणा ने दुखद रूप से आत्महत्या कर ली। किसान विरोधी सरकार की नीतियों से त्रस्त होकर प्रदेश के अन्नदाता आत्महत्या करने को मजबूर हैं। न उन्हें खाद मिल रही है, न राहत राशि, न फसल बीमा, न मुआवजा, और न ही फसलों का उचित दाम।


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