सड़क दुर्घटना: इंसान की जान से ज्यादा जरूरी कागजी कार्रवाई! तड़पते रहे घायल, फॉर्म भरने में जुटी पुलिस

सड़क दुर्घटना: इंसान की जान से ज्यादा जरूरी कागजी कार्रवाई! तड़पते रहे घायल, फॉर्म भरने में जुटी पुलिस

राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ से एक चौकाने वाला मामला सामने आया है। यहां सड़क हादसे में घायलों को अस्पताल ले जाने की बजाय पुलिस की कागजी कार्रवाई झेलनी पड़ी है। घायल लोग सड़क पर तड़पते रहे और पुलिस पंचनामा बनाती रही।

दरअसल, राजगढ़ जिले के कुरावर थाना क्षेत्र में तलेन रोड पर मंगलवार शाम एक सड़क दुर्घटना हुई। ललोती गांव के इलियास और जहीर खा तथा सवर्सी गांव के गोविंद और मनीष, दो बाइक पर सवार थे, लेकिन सामने से टक्कर हुई और चारों युवक सड़क पर बुरी तरह घायल होकर गिर पड़े।

स्थानीय लोगों ने तत्परता दिखाई और पुलिस को कॉल किया, लेकिन जब पुलिस आई तो वह मदद नहीं की, बल्कि घायलों से सवाल जवाब पूछने लगी। जबकि घायलों की हालत गंभीर थी। घायल चीखते रहे कि हॉस्पिटल पहुंचा दो, प्लीज़! इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। जिसके बाद पुलिस की कार्रवाही और राहवीर योजना सवालों के घेरे में है।

इस मामले में नरसिंहगढ़ के एसडीओपी उपेंद्र सिंह भाटी से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह घटना 5 बजकर 53 मिनट पर हुई थी। घटनास्थल से करीब 2 किलोमीटर दूर पर डायल 100 खड़ी थी। सूचना मिलते ही 10 मिनट के अंदर एसआई उइके मौके पर पहुंच गए, लेकिन घायल व्यक्ति के पैर में बहुत ज्यादा चोट थी, हड्डी निकल गई थी।

इसलिए उसे डायल 100 में शिफ्ट करना संभव नहीं था। इसके बाद 108 एंबुलेंस को कॉल किया गया, जब वह नहीं आई तो मजबूरी में एसआई उइके ने डायल हंड्रेड के जरिए घायल को अस्पताल पहुंचाया। इसमें जानबूझकर अमानीवयता की दृष्टिकरण से कुछ नहीं किया गया है।

क्या है राहवीर योजना

मध्य प्रदेश सरकार ने एक्सीडेंट में घायल प्रत्येक व्यक्ति के लिए 108 एम्बुलेंस, एयर एम्बुलेंस तो शुरू की ही है, इसके साथ ही भारत सरकार सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा राहवीर योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना को भी प्रदेश में लागू कर दिया है, इसके क्रियान्वयन के लिए जिला कलेक्टर को आदेशित कर दिया है।

योजना में प्रावधान है कि यदि कोई नागरिक सड़क दुर्घटना में किसी घायल व्यक्ति को उसके गोल्डन-ऑवर (प्रारंभिक 1 घंटे) में चिकित्सा हेतु अस्पताल तक पहुंचाता है और उसकी जान बच जाती है, उस स्थिति में उसे 25 हजार रूपये का ईनाम दिया जाएगा, जो पूर्व में 5 हजार रूपये था ।

साथ ही यदि कोई नागरिक घायल व्यक्ति को सीधा अस्पताल ले जाता है, उस स्थिति में अस्पताल द्वारा पुलिस को सूचना दी जाएगी। संबंधित व्यक्ति को भी इस पत्र की प्रति दी जाएगी, साथ ही पुलिस द्वारा कलेक्टर को भी इस संबंध में एक पत्र लिखा जायेगा। परिवहन विभाग द्वारा व्यक्ति के खाते में सीधे राशि ट्रांसफर की जावेगी।


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