Raipur News: रायपुर / छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में नगर निगम की तरफ से वसूले जा रहे संपत्तिकर (Property Tax) को लेकर बड़ा मामला सामने आया है। नगर निगम के राजस्व विभाग पर गलत तरीके से टैक्स वसूली का आरोप लग रहा है, जिससे आम जनता बेहद परेशान है। दरअसल नगर निगम ने करीब पांच साल पहले वार्डों में एक जीआईएस (GIS) सर्वे कराया था, जिसके आधार पर नागरिकों की संपत्तियों का क्षेत्रफल दर्ज किया गया था। लेकिन अब सामने आ रहा है कि इस सर्वे में भारी गड़बड़ी हुई है। कई मकानों का क्षेत्रफल गलत तरीके से दर्शाया गया है, जिससे करदाताओं पर अतिरिक्त टैक्स का बोझ पड़ रहा है।
आम – जनता काट रही कार्यालयों के चक्कर
Raipur News: जानकारी के अनुसार जीआईएस सर्वे में जिन मकानों की एक या दो मंजिल थीं, उनके प्रत्येक तल को समान क्षेत्रफल के रूप में दिखाया गया। इससे कुल कवर एरिया जरूरत से कहीं अधिक दर्शाया गया और उसी आधार पर संपत्तिकर की मांग जारी की गई। उदाहरण के लिए जिन मकानों का क्षेत्रफल कुल 900 वर्गफीट होना चाहिए था, उन्हें 1800 या 2500 वर्गफीट तक दिखाया गया। जब लोग इस गलती को सुधारने निगम कार्यालय पहुंचे, तो कभी मुख्यालय तो कभी जोन कार्यालय भेज दिया गया। इस भटकाव और अनदेखी से नागरिकों में भारी असंतोष है।
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एक – दूसरे पर थोप रहे अपना आरोप
Raipur News: इस मुद्दे पर लोगों ने कई बार शिकायतें दर्ज कराईं, लेकिन नगर निगम के अधिकारी कार्रवाई करने की बजाय एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे। वार्ड पार्षदों को भी इस विषय में अवगत कराया गया, लेकिन इसके बावजूद कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया। गौरतलब है कि जीआईएस सर्वे के समय भी स्थानीय निवासियों ने इस सर्वे की पारदर्शिता पर सवाल उठाए थे। उस दौरान मकानों को गलत नामों पर दिखाया गया था, और कई संपत्तियों का क्षेत्रफल वास्तविक से दोगुना दर्शाया गया था। विरोध के बाद सर्वे को कुछ समय के लिए रोका गया, लेकिन बाद में तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री के निर्देश पर इसमें मामूली सुधार कर पुनः सर्वे पूरा कर लिया गया।
लोगों के द्वारा की गई शिकायत
Raipur News: कई लोगों के केस इस गड़बड़ी को उजागर करते हैं। चौरसिया कॉलोनी के कृष्णा होम्स में रहने वाले एसआर साहू का प्लॉट 500 वर्गफीट का है और उन्होंने 450 वर्गफीट में निर्माण किया है। उनकी पहली मंजिल भी इतने ही क्षेत्र में बनी है, लेकिन नगर निगम के रिकॉर्ड में कुल 1800 वर्गफीट क्षेत्रफल दर्ज है। इसी तरह बैरन बाजार के मोहम्मद सागीर का मकान 1000 वर्गफीट में है, जिसमें पहली मंजिल का निर्माण है, लेकिन निगम ने उनके घर का क्षेत्रफल 2500 वर्गफीट दिखा दिया है। वे पिछले एक साल से चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई सुधार नहीं हो पाया है। इस पूरे मामले में स्पष्ट रूप से नगर निगम के राजस्व विभाग की लापरवाही सामने आई है, लेकिन खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है। अब प्रदेश के प्रशासन एवं विकास मंत्री अरुण साव ने आश्वासन दिया है कि संपत्तिकर से जुड़ी समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि लोगों को अनावश्यक परेशानियों से बचाने के लिए निकाय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए जाएंगे। अब देखना होगा कि सरकार और प्रशासन इस गंभीर समस्या का समाधान कितनी तत्परता से कर पाते हैं।