Raipur News: रायपुर/ मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय विगत दिवस नवा रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में छत्तीसगढ़ आदिवासी कंवर समाज युवा प्रभाग रायपुर में आयोजित प्रकृति पर्व भादो एकादशी व्रत 2025 करमा तिहार कार्यक्रम में शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की और समस्त समाजजनों को इस पावन अवसर की शुभकामनाएँ दी।
मुख्यमंत्री साय ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति हमारे पूर्वजों की अमूल्य धरोहर है, जिसे जीवंत बनाए रखना हमारा नैतिक कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि ऐसे पर्व समाज में एकजुटता, सौहार्द और स्नेह की भावना को मजबूत करते हैं। उन्होंने कंवर समाज के युवाओं द्वारा राजधानी रायपुर में करमा तिहार जैसे पारंपरिक आयोजन को लेकर प्रसन्नता जताई।
साय ने की आदिवासी – सस्कृति की सराहना
Raipur News: मुख्यमंत्री ने बताया कि आदिवासी संस्कृति में कई प्रकार के करमा पर्व मनाए जाते हैं। एकादशी का करमा तिहार मुख्य रुप से कुंवारी बेटियों का पर्व है, जिसमें वे भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा कर अच्छे वर और सुखद गृहस्थ जीवन की कामना करती हैं। इसी प्रकार दशहरा करमा और जियुत पुत्रिका करमा जैसे पर्व भी महिलाएं और माताएं ही पुत्र-पुत्रियों की खुशहाली और दीर्घायु जीवन के लिए मनाती है।
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आदिवासी क्रांतिकारियों को याद रखने के लिए उनके चित्रों को दीवारों पर उकेरा जा रहा
Raipur News: मुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि देश की आज़ादी के संघर्ष में आदिवासी समाज का अभूतपूर्व योगदान रहा है। छत्तीसगढ़ में अंग्रेजों के खिलाफ 12 आदिवासी क्रांतियाँ हुईं, जिनकी स्मृति को संरक्षित रखने के लिए नवा रायपुर स्थित ट्राइबल म्यूजियम में आदिवासी नायकों की छवियों को उकेरा जा रहा है। इस संग्रहालय का उद्घाटन छत्तीसगढ़ राज्य के रजत जयंती समारोह के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करकमलों से किया जाएगा।
मुख्यमंत्री साय ने बताया कि आदिवासी समाज के सशक्तिकरण के लिए उनकी सरकार विशेष प्रयास कर रही है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बनाए गए स्वतंत्र आदिवासी मंत्रालय की चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि आज “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान और पीएम जनमन योजना” के माध्यम से आदिवासी समाज के समग्र विकास के लिए कार्य कर रहे हैं।
Raipur News: पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के कार्यकाल में गठित बस्तर, सरगुजा एवं मध्य क्षेत्र प्राधिकरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि इससे विकास कार्यों को गति मिली। वर्तमान सरकार भी आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए नई उद्योग नीति लेकर आई है, जिसमें बस्तर और सरगुजा के लिए विशेष रियायतें दी गई हैं।
शिक्षा के क्षेत्र में भी सरकार प्रयासरत है कि कोई भी आदिवासी बच्चा शिक्षा से वंचित न रहे। इसके लिए राज्य में राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की शैक्षणिक संस्थाओं की स्थापना की जा रही है। मुख्यमंत्री साय ने अंत में कहा कि छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को आगे बढ़ाना और भावी पीढ़ियों तक पहुँचाना हम सभी का सामूहिक दायित्व है।