पुलिसकर्मियों ने 2 नाबालिग बहनों को बनाया बंधक, 6 महीने तक कराई मजदूरी, जानिए पूरा मामला

पुलिसकर्मियों ने 2 नाबालिग बहनों को बनाया बंधक, 6 महीने तक कराई मजदूरी, जानिए पूरा मामला

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर से एक चौकानें वाला मामला सामने आया है। यहां दो पुलिसकर्मियों ने दो नाबालिग बहनों को बंधक बनाकर बंधुआ मजदूरी कराई है। जानकारी के मुताबिक, दोनों नाबालिग लड़कियों को पढ़ाई का झांसा देकर जशपुर से बिलासपुर लाया गया था। दोनों बच्चिंयों की उम्र 13 और 16 वर्ष बताई जा रही है। यह पूरा मामला बिलासपुर में तोरवा थाना क्षेत्र के तिफरा सिरगिट्टी का बताया जा रहा है।

Read More : महिला पटवारी पर रिश्वत का आरोप, तहसीलदार ने लौटाए पैसे, PCC चीफ दीपक बैज ने सरकार को घेरा

पुलिसकर्मी सुधीर कुजूर और अरुण लकड़ा जो बच्चियों के कथित रिश्तेदार हैं पर मारपीट और टॉर्चर का आरोप है। रविवार 20 जुलाई 2025 की रात दोनों बच्चियां किसी तरह भागकर लालखदान पहुंचीं, जहां स्थानीय लोगों ने उनकी मदद की और तोरवा पुलिस को सूचना दी।

बच्चियों को सुरक्षा के लिए सखी सेंटर भेजा गया है, और चाइल्ड वेलफेयर कमेटी (CWC) के समक्ष उनके बयान दर्ज किए जाएंगे। पुलिस ने इस मामले को चाइल्ड ट्रैफिकिंग की आशंका के तहत जांच शुरू कर दी है।

Read More : यात्री बस से 92 किलो गांजा की स्मगलिंग, 12 बैग में मिला लाखों का माल, अंतरराज्यीय तस्कर रैकेट की आशंका

पूरा मामला क्या है?

जशपुर जिले की दो नाबालिग बच्चियां (13 और 16 वर्ष) छह महीने पहले सुधीर कुजूर और अरुण लकड़ा द्वारा पढ़ाई और ओपन एग्जाम दिलाने के बहाने बिलासपुर के सिरगिट्टी, तिफरा स्थित पुलिस क्वार्टर में लाई गई थीं। दोनों पुलिसकर्मी बच्चियों के कथित रिश्तेदार हैं।

क्वार्टर में बच्चियों से झाड़ू-पोंछा, बर्तन साफ करना, और अन्य घरेलू काम जबरन कराए गए। काम में कमी होने पर उन्हें डांट-फटकार, मारपीट, और धमकियों का सामना करना पड़ा। छह महीने तक इस प्रताड़ना को सहने के बाद, बच्चियां रविवार रात क्वार्टर से भाग निकलीं और लालखदान में एक मोबाइल दुकान पर पहुंचीं।

Read More : हत्या या आत्महत्या: BEO कार्यालय में फंदे पर लटका मिला युवक का शव, पीएम के बाद खुलेगा राज

पुलिस की त्वरित कार्रवाई

लालखदान में बच्चियों को रोते और डरे हुए देखकर स्थानीय लोगों ने भीड़ जुटाई और उनकी आपबीती सुनी। बच्चियों ने बताया कि उन्हें पढ़ाई के बहाने लाया गया था, लेकिन बंधक बनाकर मजदूरी कराई गई। स्थानीय युवकों ने इसे चाइल्ड ट्रैफिकिंग का मामला मानकर तोरवा पुलिस को सूचना दी।

पुलिस ने तुरंत बच्चियों को सुरक्षा के लिए सखी सेंटर भेजा, जहां उनकी काउंसलिंग की जा रही है। बच्चियों के परिजनों को भी सूचित किया गया है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी जल्द ही बच्चियों के बयान दर्ज करेगी, जिसके आधार पर IPC और जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत कार्रवाई होगी।

Read More : Naxalites Killed Villagers: बौखलाए नक्सलियों की कायराना करतूत, बेटे के सरेंडर करते ही कर दी पिता की हत्या

स्थानीय लोगों में आक्रोश

आरोपी पुलिसकर्मी अरुण लकड़ा ने दावा किया कि बच्चियों को उनके पिता की सहमति से पढ़ाई के लिए लाया गया था, और वह उन्हें ओपन एग्जाम दिलाने की तैयारी कर रहे थे। उन्होंने मारपीट और टॉर्चर के आरोपों का खंडन किया।

हालांकि, स्थानीय लोगों और हिंदू संगठनों ने इस घटना पर कड़ा रुख अपनाया है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की, इसे आदिवासी बच्चियों के साथ अन्याय करार दिया। स्थानीय युवकों ने जशपुर में चाइल्ड ट्रैफिकिंग के बढ़ते मामलों की ओर ध्यान दिलाया और इस घटना को उसी सिलसिले का हिस्सा बताया।


Related Articles