बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में 13 नक्सलियों, जिनमें 10 पर कुल 22 लाख रुपये का इनाम था, ने शुक्रवार को सुरक्षाबलों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। पुलिस अधिकारियों ने इसकी जानकारी दी। आत्मसमर्पण करने वालों में माओवादी संगठन के महत्वपूर्ण सदस्य शामिल हैं, जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का फैसला किया।
आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के नाम और इनाम
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों में शामिल हैं:
देवे मुचाकी ऊर्फ प्रमिला (21 वर्ष), ‘कंपनी नंबर दो’ की पार्टी सदस्य, जिन पर 8 लाख रुपये का इनाम था।
कोसा ओयाम ऊर्फ राजेन्द्र (29 वर्ष), एरिया कमेटी सदस्य, जिन पर 5 लाख रुपये का इनाम था।
कोसी पोड़ियाम (27 वर्ष), जिन पर 2 लाख रुपये का इनाम था।
सम्मी सेमला (23 वर्ष), छोटू परसीक (25 वर्ष), मोती ताती (24 वर्ष), सुनीता हेमला (23 वर्ष), मंजुला कुंजाम (27 वर्ष), सायबो पोड़ियम (18 वर्ष), और हुंगी उण्डम ऊर्फ राधा (21 वर्ष), जिनमें से प्रत्येक पर 1-1 लाख रुपये का इनाम था।
नक्सलियों का मोहभंग
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बीजापुर के अंदरूनी इलाकों में सड़कों का निर्माण, बिजली, स्वास्थ्य सेवाएं, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता ने माओवादियों के मन पर गहरा प्रभाव डाला है। माओवादी संगठन की विचारधारा से उनका मोहभंग हो चुका है। संगठन के भीतर शोषण, क्रूर व्यवहार और आंतरिक कलह ने उन्हें हिंसा का रास्ता छोड़ने के लिए मजबूर किया।
छत्तीसगढ़ सरकार की नई पुनर्वास नीति ने भी नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने के लिए प्रेरित किया है। इस नीति के तहत उन्हें नई शुरुआत करने का अवसर और समर्थन प्रदान किया जा रहा है। आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने संगठन की खोखली विचारधारा और आदिवासियों पर अत्याचारों से तंग आकर यह कदम उठाया।
50,000 रुपये का चेक दिया
आत्मसमर्पण करने वाले सभी 13 नक्सलियों को छत्तीसगढ़ सरकार की पुनर्वास नीति के तहत 50,000 रुपये का चेक प्रदान किया गया। यह प्रोत्साहन राशि उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल होने और नया जीवन शुरू करने में मदद करेगी। इसके अलावा, सरकार द्वारा संचालित पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण और अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
बीजापुर में नक्सलवाद के खिलाफ अभियान
पुलिस के अनुसार, 1 जनवरी 2025 से अब तक बीजापुर जिले में नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियानों में उल्लेखनीय सफलता मिली है। इस साल अब तक:
270 माओवादी गिरफ्तार किए गए।
241 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया।
126 माओवादी अलग-अलग मुठभेड़ों में मारे गए।
ये आंकड़े दर्शाते हैं कि छत्तीसगढ़ पुलिस और सुरक्षाबल नक्सलवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं। साथ ही, सरकार की पुनर्वास नीति और स्थानीय स्तर पर चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों ने नक्सलियों को हिंसा छोड़ने के लिए प्रेरित किया है।
नक्सलवाद के खिलाफ सरकार की नीति
अधिकारी ने बताया कि, केंद्र और राज्य सरकार नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त करने का लक्ष्य है। बीजापुर और सुकमा जैसे जिलों में आत्मसमर्पण की बढ़ती घटनाएं इस दिशा में सकारात्मक कदम हैं।