Nautapa 2025: गर्मी का मौसम चल रहा है इस मौसम में अक्सर तापमान सबसे तेज हो जाता है इसके साथ ही नौतपा की स्थिति भी बनती है। नौतपा के दौरान 9 दिन सबसे ज्यादा गर्मी के साथ तपते हैं साथ ही इस दौरान लू या हीटस्ट्रॉक के मामले भी सबसे ज्यादा बढ़ते हैं। आखिर नौतपा क्यों आता है और इसके पीछे क्या पौराणिक कथा है चलिए जान लेते हैं इस लेख में।
क्या होता है नौतपा
आपको बताते चलें कि, नौतपा नौ दिनों की तपन या तेज़ गर्मी के नौ दिन का अर्थ होता हैं। आमतौर पर मई के अंत या जून की शुरुआत में पड़ता है। जो इस बार 25 मई से 3 जून के दौरान है। इसे लेकर धर्म में कहा गया है कि, जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तभी से नौतपा आरंभ होता है और लगातार नौ दिन तक चलता है। कहते हैं कि, । ये नौ दिन मौसम के लिहाज से अत्यधिक महत्वपूर्ण माने जाते हैं।
जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
नौतपा के पीछे की पौराणिक कथा है जिसके बारे में कम लोग ही जानते हैं। कथा के अनुसार, चंद्रमा की सोलह पत्नियां थीं, जिनमें रोहिणी सबसे प्रिय थीं। चंद्रमा का झुकाव रोहिणी की ओर अधिक था, जिससे बाकी पत्नियाँ नाराज़ हो गईं और अपने पिता दक्ष प्रजापति से शिकायत की। दक्ष ने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि वह क्षय रोग से ग्रस्त होकर क्षीण होता चला जाएगा।बाद में भगवान शिव की आराधना करने पर चंद्रमा को आंशिक रूप से श्राप से मुक्ति मिली, जिससे उनका घटना और बढ़ना शुरू हो गया। चूंकि रोहिणी चंद्रमा की प्रिय पत्नी थीं, इसलिए जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है, तब यह काल बहुत ही गर्म होता है। इसे ही नौतपा कहा गया।
कृषि के लिए सही होता हैं नौतपा
आपको बताते चलें कि, नौतपा को कई तरीके से फायदेमंद माना गया हैं। कहते हैं कि, नौतपा के दौरान सूरज का तापमान अपने चरम पर होता है। इस समय गर्म हवाएं चलती हैं, जिसे लू कहते हैं। बताया जाता हैं कि, नौ दिन तपते हुए निकल जाएं तो यह संकेत होता है कि वर्षा ऋतु अच्छी और समय पर होगी। इसके अलावा बादल छाए रहते हैं या बारिश होती है, तो वह वर्ष कृषि के लिए अच्छा नहीं माना जाता।
इन बातों का रखें ख्याल
आपको बताते चलें कि, नौतपा के दौरान आप बीमार ना पड़ जाएं इसके लिए कई बातों का ख्याल रखना चाहिए…
- धूप में ज्यादा देर न निकलें और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- गर्मी के कारण सिरदर्द, चक्कर, या निर्जलीकरण (डिहाइड्रेशन) हो सकता है, इसलिए पर्याप्त पानी पिएं।
- धूप में बाहर निकलते समय सिर को कपड़े से ढकें।
- सात्विक भोजन करना चाहिए और तामसिक पदार्थों (मांस, शराब आदि) से दूर रहना चाहिए।