मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में शनिवार को आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने बिजली कंपनी के असिस्टेंट इंजीनियर उमाशंकर पाराशर के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की। जबलपुर से आई EOW की 15 सदस्यीय टीम ने पाराशर के नरसिंहपुर, आमगांव के पास बीनेर ग्राम, और निवारी गांव सहित चार ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इस दौरान 5.5 करोड़ रुपये की संपत्ति, दो बेनामी फैक्ट्रियां, 9 बैंक खाते, 5 लग्जरी वाहन, और लाखों के जेवरात बरामद हुए। EOW ने आय से अधिक संपत्ति (Disproportionate Assets) का मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
फैक्ट्रियां, आलीशान मकान, और लग्जरी वाहन: भ्रष्टाचार का खुलासा
EOW के डीएसपी एबी सिंह ने बताया कि उमाशंकर पाराशर, जो वर्तमान में कटनी के सिटी डिविजनल ऑफिस में असिस्टेंट इंजीनियर (AE) के पद पर तैनात हैं, पहले नरसिंहपुर में विजिलेंस विभाग में थे। एक साल पहले उनका तबादला कटनी हुआ था। शनिवार को हुई छापेमारी में उनकी पत्नी के नाम पर करोड़ों की दो फैक्ट्रियों का खुलासा हुआ, जो बेनामी संपत्तियों का हिस्सा मानी जा रही हैं।
MP engineer News: टीम को निम्नलिखित संपत्तियां मिलीं
- आलीशान मकान: नरसिंहपुर की हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में दो मकान, जिनमें एक तीन मंजिला और दूसरा दो मंजिला है। इनकी अनुमानित कीमत 1.5 करोड़ रुपये है।
- फैक्ट्रियां: ग्राम बीनेर (निवारी), तहसील करेली में कॉमन बायो केमिकल वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट, जिसकी कीमत लगभग 3 करोड़ रुपये है। यह प्लांट पाराशर की पत्नी के नाम पर दर्ज है।
- वाहन: 60 लाख रुपये कीमत के 5 फोर-व्हीलर और 1 बाइक जब्त की गई।
- जेवरात: 18,16,955 रुपये के सोने-चांदी के जेवर बरामद।
- बैंक खाते: 9 बैंक खातों का पता चला, जिनके लेन-देन की जांच की जा रही है।
- दस्तावेज: कई बेनामी संपत्तियों के दस्तावेज और लेन-देन से जुड़े कागजात जब्त।
- छापेमारी का विवरण: 15 सदस्यीय टीम की कार्रवाई
जबलपुर से आई EOW की 15 सदस्यीय टीम ने सुबह 6 बजे से चारों ठिकानों पर एक साथ सर्च ऑपरेशन शुरू किया। नरसिंहपुर शहर के हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पाराशर का आवास, आमगांव के पास बीनेर ग्राम, और निवारी गांव में उनकी फैक्ट्रियां जांच के दायरे में थीं। डीएसपी एबी सिंह ने बताया कि शुरुआती जांच में आय से अधिक संपत्ति के पुख्ता सबूत मिले हैं। छापेमारी देर रात तक जारी रही, जिसमें संपत्तियों का आकलन और दस्तावेजों की छानबीन की गई।
EOW अधिकारियों ने बताया कि पाराशर की मासिक आय और उनकी सेवा अवधि के आधार पर उनकी वैध संपत्ति उनकी बरामद संपत्तियों से कई गुना कम है। डीएसपी सिंह ने कहा, “हमने मकानों, फैक्ट्रियों, और अन्य ठिकानों से महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं। सभी संपत्तियों की सूची तैयार की जा रही है, और बैंक खातों के लेन-देन की गहन जांच होगी।”
MP engineer News: पाराशर का बैकग्राउंड और भ्रष्टाचार का इतिहास
उमाशंकर पाराशर लंबे समय तक नरसिंहपुर में बिजली कंपनी के विजिलेंस विभाग में तैनात रहे, जहां उनकी कार्यशैली और संपत्ति संचय को लेकर पहले भी शिकायतें मिली थीं। 2022 में भी EOW ने उन्हें 15,000 रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था, लेकिन तब मामला छोटा होने के कारण ज्यादा तूल नहीं पकड़ा। इस बार गोपनीय शिकायत के आधार पर EOW ने कार्रवाई की, जिसमें उनकी पत्नी के नाम पर बेनामी संपत्तियों का बड़ा खुलासा हुआ।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, पाराशर ने विजिलेंस विभाग में रहते हुए बिजली चोरी और कनेक्शन से जुड़े मामलों में कथित तौर पर भ्रष्टाचार किया। उनकी फैक्ट्रियां, जो कागजों पर उनकी पत्नी के नाम हैं, वास्तव में उनके द्वारा नियंत्रित बताई जा रही हैं। एक स्थानीय निवासी, राकेश तिवारी, ने कहा, “पाराशर की जीवनशैली और संपत्तियां उनकी नौकरी के हिसाब से संदिग्ध थीं। EOW की यह कार्रवाई स्वागत योग्य है।”
EOW की सख्ती: भ्रष्टाचार पर नकेल
EOW ने हाल के महीनों में मध्य प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कई बड़ी कार्रवाइयां की हैं। जनवरी 2025 में उज्जैन में एक रिटायर्ड बैंक अधिकारी अनिल सुहाने के ठिकानों पर छापेमारी में 6 करोड़ की संपत्ति बरामद हुई थी। मार्च 2025 में धान खरीदी घोटाले में 20,000 क्विंटल धान की हेराफेरी का खुलासा हुआ, जिसमें 79 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। नरसिंहपुर में पाराशर के खिलाफ यह कार्रवाई भी इसी कड़ी का हिस्सा है।
EOW के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, “हमारी टीमें भ्रष्टाचार के हर मामले को गंभीरता से ले रही हैं। पाराशर के मामले में बेनामी संपत्तियों और बैंक खातों की जांच से और बड़े खुलासे हो सकते हैं।”
जनता की प्रतिक्रिया और प्रशासन की भूमिका
नरसिंहपुर में इस छापेमारी ने स्थानीय लोगों में चर्चा का माहौल बना दिया है। एक दुकानदार, संजय जैन, ने कहा, “जो लोग सरकारी नौकरी में रहकर करोڑों की संपत्ति बनाते हैं, उनके खिलाफ ऐसी कार्रवाई जरूरी है। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी।” वहीं, कुछ लोगों ने पाराशर के विजिलेंस विभाग में कार्यकाल के दौरान उनके रवैये पर सवाल उठाए।
जिला प्रशासन ने EOW की कार्रवाई में पूरा सहयोग किया। नरसिंहपुर कलेक्टर ने कहा, “हम भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रहे हैं। EOW की जांच में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।”
अगले कदम, जांच और कानूनी कार्रवाई
EOW ने उमाशंकर पाराशर के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(b) और 13(2) के तहत मामला दर्ज किया है। बरामद दस्तावेजों और बैंक खातों की जांच के बाद संपत्तियों की वैधता और उनके स्रोत का पता लगाया जाएगा। EOW अधिकारियों का कहना है कि पाराशर की पत्नी और अन्य रिश्तेदारों के नाम पर दर्ज संपत्तियों की भी गहन जांच होगी।
डीएसपी एबी सिंह ने कहा, “यह शुरुआती कार्रवाई है। हमारी टीम संपत्तियों का मूल्यांकन और दस्तावेजों की जांच कर रही है। अगले कुछ दिनों में और खुलासे हो सकते हैं।” EOW ने पाराशर को हिरासत में लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, और जल्द ही उन्हें कोर्ट में पेश किया जा सकता है।
निष्कर्ष: भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़ा संदेश
उमाशंकर पाराशर के ठिकानों पर EOW की इस छापेमारी ने एक बार फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार के जरिए अकूत संपत्ति अर्जित करने के मुद्दे को उजागर किया है। 5.5 करोड़ की संपत्ति, बेनामी फैक्ट्रियां, और लग्जरी वाहनों का खुलासा न केवल पाराशर के भ्रष्टाचार को दर्शाता है, बल्कि यह भी सवाल उठाता है कि विजिलेंस जैसे संवेदनशील विभाग में भ्रष्टाचार कैसे पनप रहा है। EOW की इस कार्रवाई ने भ्रष्टाचारियों को सख्त संदेश दिया है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।