Liquor Scam Case : पूर्व IAS अनिल टूटेजा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज….

Liquor Scam Case : पूर्व IAS अनिल टूटेजा को हाईकोर्ट से बड़ा झटका, कोर्ट ने जमानत याचिका की खारिज….

बिलासपुर। शराब घोटाले में आरोपी छत्तीसगढ़ के पूर्व IAS अफसर अनिल टूटेजा को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने नियमित जमानत पर रिहा करने से इंकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लेख करते हुए तीखी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि उपरोक्त अपराधों के लिए निर्धारित दंड की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए और ऐसे मामलों में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की बाध्यकारी टिप्पणियों को ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार राष्ट्र का दुश्मन है और भ्रष्ट लोक सेवकों का पता लगाना और ऐसे व्यक्तियों को दंडित करना भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 का एक आवश्यक आदेश है।

नियमित जमानत पर रिहा के आदेश पर रोक

जस्टिस अरविंद वर्मा के सिंगल बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि आगे यह ध्यान में रखते हुए कि भ्रष्टाचार वास्तव में मानव अधिकारों का उल्लंघन है, विशेष रूप से जीवन, स्वतंत्रता, समानता और भेदभाव न करने के अधिकार का और यह सभी मानव अधिकारों की प्राप्ति में एक आर्थिक बाधा है। आगे यह ध्यान में रखते हुए कि आवेदक के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया गया है। आरोप की प्रकृति और अपराध की गंभीरता को देखते हुए, आवेदक पर आरोप लगाए गए हैं, जो अत्यंत गंभीर हैं, ऐसे अपराध छत्तीसगढ़ राज्य में किए गए हैं। लिहाजा अपराध की प्रकृति और गंभीर कारणों से याचिकाकर्ता को नियमित जमानत पर रिहा करने का आदेश देना उचित नहीं है।

‘सामाजिक-आर्थिक अपराधों का समाज के नैतिक ताने-बाने’

कोर्ट ने कहा कि आर्थिक अपराध, जिनमें गहरी साजिशें शामिल हों और जिनमें सार्वजनिक धन की भारी हानि हो, उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए और गंभीर अपराध माना जाना चाहिए आर्थिक अपराधों का पूरे समाज के विकास पर गंभीर असर पड़ता है। अगर राज्य की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने वाले आर्थिक अपराधियों को उचित तरीके से सजा नहीं दी जाती है, तो पूरा समुदाय दुखी होगा। ‘जमानत नियम है और जेल अपवाद है’ यह एक सुस्थापित सिद्धांत है, लेकिन किसी व्यक्ति को जमानत पर रिहा करने से पहले प्रत्येक मामले के तथ्यों और परिस्थितियों में मौजूद प्रतिस्पर्धी ताकतों को मापा जाना चाहिए। सामाजिक-आर्थिक अपराधों का समाज के नैतिक ताने-बाने पर गहरा असर पड़ता है और यह एक ऐसा मामला है जिस पर गंभीरता से विचार करने की जरुरत है।

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू, रायपुर द्वारा धारा 109,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1)9डी) और 13(2) के तहत अपराध के लिए एफआईआर क्रमांक 09/2015 पंजीकृत किया गया, जिसमें आरोप पत्र दायर किया गया है और विशेष न्यायाधीश, एसीबी, रायपुर के समक्ष विचारण लंबित है

0 ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत ईसीआईआर संख्या 01/2-029 जिसमें आवेदक के खिलाफ जांच चल रही है।

0 एफआईआर संख्या 196/2023, पीएस कासना, ग्रेटर नोएडा, जिला गौतम बुद्ध नगर, यूपी द्वारा धारा 420.468.471,473,484 और 120-बी आईपीसी के तहत अपराध के लिए पंजीकृत।

0 ईसीआईआर/आरपीजेडओ/04/2024, ईडी द्वारा पीएमएलए की धारा 3 और 4 के तहत पंजीकृत किया गया है और मामला विद्वान विशेष न्यायाधीश पीएमएलए के समक्ष लंबित है।

0 एसीबी/ईओडब्ल्यू द्वारा धारा 420,120-बी आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 के तहत अपराध करने के लिए एफआईआर संख्या 36/2024 दर्ज की गई।

0 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7,7ए, 8, 13(2) और आईपीसी की धारा 182.211.193,195ए, 166ए और 120-बी के तहत अपराधों के लिए एसीबी द्वारा 4.11.2024 को एफआईआर संख्या 49/2024 दर्ज की गई।

0 वर्तमान मामले में, वह सिंडिकेट के आपराधिक कृत्यों में शामिल था आरोप पत्र के साथ संलग्न व्हाट्सएप चैट का विवरण प्रथम दृष्टया वर्तमान मामले में आवेदक की संलिप्तता को दर्शाता है।


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