आदिवासी नेता जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत की जांच तेज, कांग्रेस की 7 सदस्यीय टीम कांकेर जेल पहुंची, लापरवाही का आरोप

आदिवासी नेता जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत की जांच तेज, कांग्रेस की 7 सदस्यीय टीम कांकेर जेल पहुंची, लापरवाही का आरोप

Jeevan Thakur Death Case: आदिवासी समाज के पूर्व जिला अध्यक्ष एवं कांग्रेस नेता जीवन ठाकुर की संदिग्ध मौत ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल मचा दी है। इस घटना की जांच के लिए कांग्रेस ने सात सदस्यीय टीम गठित की थी, जिसने आज कांकेर जिला जेल का दौरा किया। टीम का नेतृत्व पूर्व मंत्री अनिला भेड़िया कर रही थीं।

जेल पहुंचकर उन्होंने जेलर से मुलाकात की और जीवन ठाकुर को लेकर हुई घटनाओं की जानकारी मांगी। टीम के अनुसार जेलर हाल ही में पदस्थ हुए हैं, इसलिए उन्हें पूरे मामले की स्पष्ट जानकारी नहीं मिल सकी।

अस्पताल पहुंचे जांच दल, डॉक्टरों ने नहीं दी जानकारी

जांच टीम जिला अस्पताल भी पहुंची, जहां उन्होंने उन डॉक्टरों से मिलने का प्रयास किया, जिन्होंने जीवन ठाकुर का इलाज किया था। लेकिन डॉक्टरों ने किसी भी जानकारी को साझा करने से इनकार कर दिया।

अनिला भेड़िया ने कहा “दो बार अस्पताल में भर्ती होने के बावजूद डॉक्टरों ने स्पष्ट रिपोर्ट नहीं दी। ऐसा लग रहा था कि सब किसी दबाव में हैं चाहे डॉक्टर हों या जेल प्रशासन।”

परिजनों को मिलने तक नहीं दिया, गंभीर आरोप लगाए

कांग्रेस नेता ने यह भी आरोप लगाया कि जीवन ठाकुर के बेटे को मिलने का समय तय होने के बावजूद उनसे मिलने नहीं दिया गया। भेड़िया के अनुसार, “व्यवहार ऐसा था जैसे किसी बड़े अपराधी को रखा जाता है। यह असंवेदनशील और अमानवीय है।”

अनिला भेड़िया ने कहा कि जीवन ठाकुर को समय पर न खाना दिया गया, न दवाइयां। उन्हें ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर की समस्या थी, लेकिन इसके बावजूद उचित इलाज नहीं दिया गया। उन्होंने मौत को “सरकार और जेल प्रशासन की गंभीर लापरवाही” बताया।

क्या है पूरा मामला?

12 अक्टूबर 2025 को जमीन विवाद के मामले में जीवन ठाकुर को गिरफ्तार कर कांकेर जेल में रखा गया था। 2 दिसंबर 2025 को बिना सूचना उनके परिवार को बताए, उन्हें कांकेर जेल से रायपुर सेंट्रल जेल शिफ्ट किया गया।

इसी दौरान तबीयत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां 4 दिसंबर को उनकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि जीवन ठाकुर पूरी तरह स्वस्थ थे और “समय पर इलाज दिया जाता तो उनकी जान बच सकती थी।”

न्यायिक जांच के आदेश

मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रायपुर ने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं।

जेल प्रशासन का दावा है कि तबीयत बिगड़ने से मौत हुई, जबकि परिवार और कांग्रेस ने लापरवाही का आरोप लगाया है। अब अदालत की जांच रिपोर्ट से ही स्पष्ट होगा कि मौत के पीछे वास्तविक कारण क्या थे।

Read More : छत्तीसगढ़ में पुलिसकर्मियों का तबादले, मिली नवीन पदस्थापना, आदेश जारी


Related Articles