प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दीपावली के शुभ अवसर पर देश के पुलिसकर्मियों की वीरता और समर्पण की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि नौसेना के जवानों के लिए मौत को मुट्ठी में लेकर चलना बांए हाथ का खेल है। लेकिन पुलिस के पास केवल डंडा होता है। उनके पास उतने साधन भी नहीं होते और उनकी ट्रेनिंग भी नागरिकों के साथ मिलजुलकर काम करने की होती है। इसके बावजूद, पुलिस के अलग-अलग बेड़े के जवानों ने नक्सलियों के साथ जिस तरह से लोहा लिया है, वो काफिले-तारिफ है।
पीएम मोदी ने उन पुलिसकर्मियों को याद किया जिन्होंने नक्सली हमलों में अपने अंग खो दिए, लेकिन हौसला नहीं खोया। उन्होंने कहा, ‘मैं उन अनगिनत परिवारों को जानता हूं जिन्हें माओवादी-नक्सली विद्रोहियों ने निशाना बनाया। इनके हाथ-पैर काटे गए, जिनका गांवों में जीना मुश्किल कर दिया गया। फिर भी, इन वीर जवानों ने शांति और नागरिकों के बेहतर जीवन के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।’ उन्होंने जोर देकर कहा कि पुलिसकर्मियों ने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए निस्वार्थ भाव से बलिदान दिया है।
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माओवादी हिंसा से मुक्ति की दहलीज पर देश
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि भारत माओवादी हिंसा से मुक्ति की दहलीज पर है और यह स्वतंत्रता हमारे दरवाजे पर दस्तक दे रही है। उन्होंने कहा कि पहले 125 जिले माओवादी आतंक की चपेट में थे, लेकिन अब यह घटकर केवल 11 जिले रह गए हैं। उन्होंने कहा, ‘90 प्रतिशत सफलता प्राप्त हो चुकी है लेकिन मुझे विश्वास है कि पुलिस बल माओवादी हिंसा का पूरा तरह से खात्मा करने में सफल होगा।’ मोदी ने कहा कि उनकी सरकार का लक्ष्य भारत को विश्व के शीर्ष रक्षा निर्यातकों में से एक बनाना है। उन्होंने कहा कि 2014 से अब तक हमारे शिपयार्ड की ओर से 40 से अधिक युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाई गई हैं।