मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर। स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और अव्यवस्था एक और मामला सामने आया है। ये मामला स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल के गृह जिले मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर (एमसीबी) का है। यहां की जिला अस्पताल के परिसर में पहली ही बारिश ने पानी भर गया, जिससे भवन निर्माण की गुणवत्ता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। अस्पताल के चारों ओर जलभराव की स्थिति ने मरीजों और स्टाफ को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
यह पहली बार नहीं है जब मनेंद्रगढ़ में स्वास्थ्य व्यवस्था की खामियां उजागर हुई हों। इससे पहले भी एक डेढ़ साल की बच्ची की मौत का मामला सामने आया था, जब सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेड की कमी के कारण उसे भर्ती नहीं किया गया और समय पर इलाज न मिलने से उसकी जान चली गई। उस मामले में अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई, जिससे स्वास्थ्य विभाग की जवाबदेही पर सवाल और गहरा गए हैं।
जिला अस्पताल में जलभराव की स्थिति
मनेंद्रगढ़ के जिला अस्पताल का भवन, जिसका उद्घाटन मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने मात्र छह महीने पहले किया था, पहली बारिश में ही अपनी गुणवत्ता की पोल खोल चुका है। अस्पताल परिसर में बारिश का पानी भरने से मरीजों और कर्मचारियों को आने-जाने में भारी दिक्कत हुई।
बताया जा रहा है कि भवन का निर्माण कार्य अभी भी अधूरा है और अधूरी स्थिति में ही इसका उद्घाटन कर दिया गया था। निर्माण के समय ही छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेज कॉरपोरेशन (CGMSC) की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इसे नजरअंदाज कर दिया। इसका परिणाम अब मरीजों को भुगतना पड़ रहा है।
कांग्रेस के पूर्व विधायक गुलाब कमरो ने इस स्थिति का एक वीडियो सोशल मीडिया पर साझा किया, जिसमें अस्पताल के चारों ओर भरा हुआ पानी साफ दिखाई दे रहा है। वीडियो वायरल होने के बाद स्थानीय लोगों में गुस्सा और निराशा बढ़ गई है। हालांकि, सफाई कर्मचारियों ने बाद में परिसर से पानी निकाल लिया, लेकिन यह घटना स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही को उजागर करने के लिए काफी है।
OPD बंद होने से बची बड़ी मुसीबत
अस्पताल की मितानिन प्रमिला ने बताया कि बारिश के दौरान अचानक परिसर में पानी भर गया था। उस समय ओपीडी बंद थी, जिसके कारण ज्यादा परेशानी नहीं हुई। बारिश थमने के बाद पानी को निकाल लिया गया। हालांकि, यह स्थिति अस्पताल की खराब योजना और निर्माण की कमियों को दर्शाती है।
शौचालय में पानी की कमी
अस्पताल में भर्ती मरीज भुवन दास ने बताया कि जलभराव की समस्या तो हल हो गई, लेकिन शौचालयों में पानी की कमी बनी हुई है। इससे वार्ड में भर्ती मरीजों को भारी असुविधा हो रही है। यह स्थिति अस्पताल की बुनियादी सुविधाओं की कमी को दर्शाती है।
पहले भी उजागर हो चुकी है लापरवाही
मनेंद्रगढ़ में स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले चैनपुर गांव की एक डेढ़ साल की बच्ची की उल्टी-दस्त के कारण मौत हो गई थी। परिजनों ने बताया कि बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मनेंद्रगढ़ ले जाया गया, लेकिन वहां बेड उपलब्ध न होने के कारण उसे भर्ती नहीं किया गया। अगले दिन परिजन उसे 55 किलोमीटर दूर बैकुंठपुर जिला अस्पताल ले गए, लेकिन तब तक बच्ची की मौत हो चुकी थी। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ दिखाई दी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।