Handicrafts Award 2025:भारतीय हस्तकला की प्राचीन विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित करने के लिए मंगलवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हस्तशिल्प पुरस्कार 2025 का भव्य आयोजन होने जा रहा है। इस समारोह की शोभा बढ़ाने के लिए भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी, जबकि केंद्रीय कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे। कपड़ा एवं विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मरगेरीटा भी विशिष्ट अतिथि होंगे।
छत्तीसगढ़ की हीराबाई झरेका बघेल होंगी सम्मानित
इस वर्ष के पुरस्कार समारोह में छत्तीसगढ़ की राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता हीराबाई झरेका बघेल को विशेष रूप से सम्मानित किया जा रहा है। बस्तर की लोकपरंपराओं से उपजी उनकी धातुकला देशभर में जानी जाती है। जगदलपुर की यह शिल्प विरासत न सिर्फ कला का अनूठा रूप है, बल्कि आदिवासी समाज की सांस्कृतिक स्मृतियों को भी जीवित रखती है। उनके कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान मिली है, जिससे उन्हें इस मंच पर विशेष स्थान मिला है।
कौन हैं हीराबाई झरेका बघेल ?
छत्तीसगढ़ के सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिला के वनांचल ग्राम पंचायत बैगीनडीह की ढोकरा बेलमेटल शिल्पकार हीराबाई झरेका बघेल इससे पहले भी अपनी कलाकारी का डंका बजा चुकी है। हीराबाई बघेल को बेलमेटल शिल्प कला के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ सरकार के द्वारा वर्ष 2011-12 में पुरुस्कृत किया गया जा चुका है। उनके पति मिनकेतन बघेल को भी वर्ष 2006-07 में राज्य सरकार द्वारा सम्मानित किया गया था।
1965 में शुरू हुई परंपरा
राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों की शुरुआत 1965 में भारतीय परंपरागत हस्तकला को सहेजने और उत्कृष्ट शिल्पकारों को पहचान देने के उद्देश्य से हुई थी। आगे चलकर 2002 में ‘शिल्प गुरु’ की पहल की गई, जो हस्तशिल्प क्षेत्र का सर्वोच्च सम्मान है। यह पुरस्कार उन शिल्पियों को दिया जाता है जिन्होंने अपने हुनर से परंपरा, नवाचार और सांस्कृतिक संरक्षण को नई पहचान दी है।
देशभर में राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह
यह समारोह राष्ट्रीय हस्तशिल्प सप्ताह (8–14 दिसंबर) का मुख्य आकर्षण है। इस दौरान पूरे देश में प्रदर्शनियां, विषयगत कार्यशालाएँ, कौशल-विकास कार्यक्रम, पैनल चर्चाएँ और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ आयोजित की जा रही हैं। इनका उद्देश्य हस्तशिल्प के सामाजिक-आर्थिक महत्व को मजबूत करना और युवा पीढ़ी को इस परंपरा से जोड़ना है।
करोड़ों कारीगरों की आजीविका
भारतीय हस्तशिल्प केवल किसी कला का रूप नहीं, बल्कि ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में करोड़ों परिवारों की आजीविका का आधार है। कपड़ा मंत्रालय लगातार शिल्पकार समुदाय को कौशल विकास, विपणन सहायता, तकनीकी सहयोग और वित्तीय सशक्तिकरण प्रदान कर रहा है। सरकार का लक्ष्य है कि भारतीय शिल्प विरासत को वैश्विक पहचान मिले और कारीगर आत्मनिर्भर बन सकें।
हिराबाई झरेका बघेल के चयन के बाद छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक और शिल्प जगत में उत्साह है। स्थानीय कलाकारों का कहना है कि यह सम्मान न सिर्फ हिराबाई बघेल के लिए, बल्कि बस्तर की पीढ़ियों से चली आ रही धातुकला परंपरा के लिए भी गौरव का क्षण है।

