डोंगरगढ़। पवित्र नगरी डोंगरगढ़ में एक सनसनीखेज घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है। प्रज्ञागिरी पहाड़ी के पास एक तथाकथित साधु, तरुण अग्रवाल उर्फ सोनू (45 वर्ष), जो जटाधारी साधु के वेश में एक आश्रम चला रहा था, को पुलिस ने पकड़ लिया है। 25 जून 2025 को पुलिस ने उसके आश्रम पर छापा मारा, जहां से नशीले पदार्थ और आपत्तिजनक सामान बरामद हुए हैं। इस घटना ने स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर दिया है और पाखंडी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई की मांग को तेज कर दिया है।
पुलिस छापे में क्या मिला?
पुलिस की कार्रवाई के दौरान आश्रम से 2 किलोग्राम गांजा, सेक्स टॉय, नशीली गोलियां, वियाग्रा टैबलेट, और इंजेक्शन बरामद किए गए। इसके अलावा, कुछ वीडियो उपकरण और विदेश से मंगाए गए संदिग्ध बॉक्स भी मिले हैं, जिनकी जांच साइबर सेल कर रही है। पुलिस के अनुसार, आश्रम को सर्वसुविधायुक्त बनाने का काम चल रहा था, जिसमें कमरों और बाथरूम में टाइल्स और मार्बल लगाए गए थे। छापेमारी के बाद आश्रम को सील कर दिया गया है।
तरुण अग्रवाल का गोवा कनेक्शन
तरुण अग्रवाल पिछले 20 वर्षों से गोवा में रह रहा था, जहां उसने विदेशी पर्यटकों को योग सिखाने के नाम पर एक नेटवर्क स्थापित किया था। उसने दावा किया कि वह 100 से अधिक देशों में घूम चुका है और एक अंतरराष्ट्रीय योग गुरु है। उसने 10 से अधिक गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का डायरेक्टर होने और विदेशी फंडिंग प्राप्त करने का भी दावा किया। पुलिस अब उसके पासपोर्ट, बैंक खातों, और सोशल नेटवर्क की जांच कर रही है ताकि इन दावों की सत्यता का पता लगाया जा सके।
तरुण के पास विभिन्न देशों के योग प्रशिक्षण के प्रमाणपत्र भी हैं। गोवा में उसकी कई संपत्तियां हैं, और डेढ़ साल पहले वह डोंगरगढ़ आया, जहां उसने जमीन खरीदी और एक फार्महाउस बनाया, जिसे वह आश्रम कहता था। उसका इरादा डोंगरगढ़ में गोवा जैसा एक हेरिटेज योग सेंटर स्थापित करने का था।
युवाओं को निशाना बनाने का आरोप
पुलिस के अनुसार, तरुण ने योग सिखाने के बहाने युवाओं को निशाना बनाया। आश्रम में रात के समय युवाओं का जमावड़ा रहता था, और जब उसे नशा करने वाले युवा नहीं मिले, तो उसने गांजा रखना शुरू किया। लंबे समय से पुलिस को उसके आश्रम पर संदेह था। रात में गश्त के दौरान कई बार युवाओं को आते-जाते देखा गया था। 24 जून को पुलिस ने छापा मारकर इस गतिविधि का पर्दाफाश किया।
तरुण अग्रवाल का परिवार डोंगरगढ़ का मूल निवासी है और सेठ परिवार के नाम से जाना जाता है। आश्रम का नाम सेठ श्री बालकिशन प्रसाद अग्रवाल मेमोरियल फाउंडेशन है, जिसे तरुण ने डेढ़ साल पहले 6 करोड़ रुपये में खरीदा था। यह आश्रम अभी निर्माणाधीन है। तरुण का बड़े भाई ठेकेदारी का काम करता है और अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भी रह चुका हैं। तरुण के पिता का देहांत कई साल पहले हो चुका है और उनके मंझले भाई की फॉर्च्यून की दुकान है। तरुण स्वयं को कथित गुरु के रूप में प्रस्तुत करता था।
पुलिस की आगे की कार्रवाई
एसडीओ आशीष कुंजाम ने बताया कि बरामद वस्तुओं की जांच चल रही है। साइबर सेल विदेशी बॉक्स और वीडियो उपकरणों की जांच कर रही है। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि तरुण के एनजीओ और विदेशी फंडिंग के दावों में कितनी सच्चाई है। उसके बैंक खातों और संपत्तियों की भी जांच की जा रही है।