रायपुर. मध्यप्रदेश में भारतमाला प्रोजेक्ट घोटाले की जांच में आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (EOW) ने बड़ा मोड़ लिया है. रायपुर की स्पेशल कोर्ट में पेश किए गए 8000 पन्नों के चालान में कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है. इनमें SDM, पटवारी और भू-माफिया प्रमुख हैं. आरोप है कि इन अधिकारियों ने मिलकर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया में फर्जीवाड़ा कर लगभग ₹43 करोड़ का नुकसान सरकार को पहुँचाया. EOW की जांच में सामने आया कि कई जगहों पर सरकारी दर से कई गुना अधिक मुआवज़ा दिखाकर रकम का बंटवारा किया गया। मामला अब अदालत में विचाराधीन है.
EOW की रिपोर्ट के अनुसार, केदार, हरमीत और भोजराम ने अधिग्रहित ज़मीनों की कीमत बढ़ाकर सरकारी कोष को भारी नुकसान पहुँचाया. कई दस्तावेज़ों में हेराफेरी कर किसानों और ज़मीन मालिकों के नाम पर झूठे भुगतान दिखाए गए. जांच में यह भी सामने आया कि कुछ ज़मीनों के लिए दोहरी मुआवज़ा राशि दर्ज की गई.
SDM-पटवारी की भूमिका पर बड़े गंभीर आरोप
जांच में यह पाया गया कि तत्कालीन एसडीएम कार्यालय ने बिना विधिसम्मत सत्यापन के कई भूमि अधिग्रहण प्रस्ताव पारित किए. संबंधित पटवारी और भू-माफिया के बीच मिलीभगत के सबूत भी सामने आए हैं. आरोपियों ने बाजार दर से कई गुना अधिक मूल्यांकन करवाकर रकम का बंदरबांट किया.
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8000 पन्नों का चालान और गवाहों के बयान
EOW ने चार्जशीट में दर्जनों दस्तावेज़, बैंक लेनदेन और गवाहों के बयान शामिल किए हैं. एजेंसी का दावा है कि यह अब तक का सबसे विस्तृत आर्थिक अपराध चालान है. EOW अधिकारियों ने बताया कि जांच अभी जारी है और कुछ अन्य नाम भी रडार पर हैं. प्रारंभिक सबूतों के आधार पर मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दर्ज किया गया.
भारतमाला प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण में हुई धांधली
भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना के तहत देशभर में सड़क और राजमार्गों का नेटवर्क विकसित किया जा रहा है. मध्यप्रदेश के कई जिलों में इसके लिए भूमि अधिग्रहण किया गया. इसी प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के चलते यह घोटाला सामने आया. मामले ने अब अदालत का रुख किया है और सभी आरोपी न्यायिक जांच के दायरे में हैं. EOW की यह कार्रवाई भ्रष्टाचार रोकने की दिशा में एक बड़ा संदेश मानी जा रही है.