Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य-व्यंग्य कवि सुरजीत नवदीप नहीं रहे साहित्य जगत में शोक की लहर…

Chhattisgarh News:   छत्तीसगढ़ के प्रख्यात हास्य-व्यंग्य कवि सुरजीत नवदीप नहीं रहे साहित्य जगत में शोक की लहर…

Chhattisgarh News: धमतरी / छत्तीसगढ़ के जाने-माने हास्य-व्यंग्य कवि, राष्ट्रीय मंच संचालकों के पितामह और साहित्य की दुनिया में छह दशकों से सक्रिय सुरजीत नवदीप का सोमवार रात एक निजी नर्सिंग होम में निधन हो गया। उनके निधन से छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश के साहित्य जगत में शोक की लहर है। उन्होंने अपने सरल, सहज और संवेदनशील व्यक्तित्व के साथ-साथ अपनी तीखी, हास्य-व्यंग्य कविताओं के माध्यम से समाज की विसंगतियों पर करारा प्रहार किया और जनमानस का दिल जीता। वे न केवल एक प्रसिद्ध कवि थे, बल्कि प्रभावशाली मंच संचालक और एक प्रतिबद्ध साहित्यसेवी भी थे। उन्होंने 10 हजार से अधिक मंचों पर अपनी प्रस्तुति दी और छत्तीसगढ़ को देश-दुनिया में साहित्यिक पहचान दिलाई।

सुरजीत नवदीप का जन्म 1 जुलाई 1937 को पंजाब प्रांत के मंडी भावलदीन (अब पाकिस्तान में) में हुआ था। देश के विभाजन के बाद उनका परिवार छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के कंडेल गांव में आकर बस गया। उन्होंने धमतरी से ही शिक्षा प्राप्त की और हिन्दी साहित्य में एमए, बीएड, सीपीएड की उपाधियाँ अर्जित कीं। शिक्षा के क्षेत्र में दीर्घकालीन सेवा देने के बाद वे पूरी तरह से साहित्य लेखन में सक्रिय हो गए। उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत से लेकर अंतिम समय तक वे निरंतर लेखन में संलग्न रहे।

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उन्हें मिलने वाले विभिन्न सम्मान और उसकी रचनाएं

Chhattisgarh News: उनकी आठ प्रमुख कृतियाँ प्रकाशित हुईं, जिनमें लाजवंती का पौधा (उपन्यास), हवाओं में भटकते हाथ, कुर्सी के चक्कर में, शब्दों का अलाव, आंसू हँसते हैं, रावण कब मरेगा?, खाओ-पिओ खिसको और बुढ़ापा जिंदाबाद प्रमुख हैं। वर्ष 2020 में प्रकाशित बुढ़ापा जिंदाबाद में उनकी कविताएं बुजुर्गों के अनुभवों और जीवन की जिंदादिली को रेखांकित करती हैं। उनकी एक प्रसिद्ध कविता की पंक्तियाँ “जवानी तुझे सलाम करते हैं, बुढ़ापा तुझे प्रणाम करते हैं, जी लिया जितना जीना था, अब सबको राम-राम करते हैं” उनके जीवन दर्शन और जिंदादिली को स्पष्ट रूप से अभिव्यक्त करती हैं।

साहित्य जगत में उनके योगदान को देखते हुए देशभर की विभिन्न संस्थाओं ने उन्हें कई बार सम्मानित किया । उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य राष्ट्रभाषा प्रचार समिति रायपुर, छत्तीसगढ़ साहित्य सम्मेलन, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया कोलकाता, नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (तेलचर, उड़ीसा), मेट्रो रेलवे कोलकाता, भद्रावती (कर्नाटक) के राजभाषा समारोह सहित अनेक मंचों पर सम्मान मिला। उनके गीत, ग़ज़लें, हास्य-व्यंग्य कविताएँ और कहानियाँ देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं और दूरदर्शन पर नियमित रूप से प्रसारित होती रहीं।

प्रदेश के दो हास्य कवियों का निधन 3 महीने के भीतर

Chhattisgarh News: उनके निधन पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, साहित्यकार, जनप्रतिनिधि, व्यापारी वर्ग व आम नागरिकों ने गहरा शोक व्यक्त किया है। पीजी कॉलेज धमतरी के पूर्व प्राचार्य डॉ. चंद्रशेखर चौबे, डॉ. सरिता दोशी, अशोक पवार, कामिनी कौशिक, भूपेन्द्र सोनी सहित अनेक लोगों ने कहा कि सुरजीत नवदीप का जाना साहित्य के एक चमकते सितारे का टूटना है। उनकी कविताओं में आम जनजीवन की सच्चाई और समाज के लिए प्रेरणा छिपी होती थी।

पिछले 82 दिनों में छत्तीसगढ़ ने दो बड़े कवियों को खो दिया। 26 जून 2025 को पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेन्द्र दुबे का निधन हुआ था और अब 15 सितंबर को सुरजीत नवदीप का जाना, प्रदेश के साहित्यिक क्षितिज पर एक बड़ी क्षति है। दोनों कवियों ने अनेक अवसरों पर मंच साझा किया और अपने प्रभावशाली संचालन व कविताओं से दर्शकों को प्रभावित किया।
साहित्य की यह अपूरणीय क्षति लंबे समय तक याद की जाएगी। सुरजीत नवदीप ने अपनी रचनाओं और जीवनशैली के माध्यम से साहित्य को जो ऊंचाइयाँ दीं, वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेंगी।


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