बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाला और मनी लांड्रिंग मामले में पूर्व IAS अधिकारी अनिल टुटेजा को बिलासपुर हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। जस्टिस अरविंद वर्मा की बेंच ने 27 जून 2025 को उनकी जमानत याचिका और राजनीतिक साजिश के तहत फंसाए जाने के आरोप वाले आवेदन को खारिज कर दिया।
टुटेजा के वकील ने दलील दी थी कि जांच एजेंसियां पक्षपात कर रही हैं और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं, इसलिए जांच की हाईकोर्ट की निगरानी में होनी चाहिए। हालांकि, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से उपमहाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने इसका कड़ा विरोध किया, यह बताते हुए कि टुटेजा न केवल शराब घोटाले, बल्कि डीएमएफ और कोयला घोटाले जैसे अन्य गंभीर मामलों में भी आरोपी हैं।
क्या है छत्तीसगढ़ शराब घोटाले?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच के अनुसार, छत्तीसगढ़ में 2019 से 2022 के बीच 2,161 करोड़ रुपये का शराब घोटाला हुआ, जिसके कारण राज्य के राजस्व को भारी नुकसान हुआ। ईडी ने अपनी चार्जशीट में दावा किया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल में अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के प्रबंध निदेशक अरुणपति त्रिपाठी, और कारोबारी अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक आपराधिक सिंडिकेट ने इस घोटाले को अंजाम दिया।
अवैध कमीशन: छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड (CSMCL) के माध्यम से शराब की खरीद में डिस्टिलरों से 75-150 रुपये प्रति केस कमीशन वसूला गया।
नकली होलोग्राम: सरकारी शराब दुकानों पर डुप्लीकेट होलोग्राम लगाकर अवैध देशी शराब बेची गई, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ।
सिंडिकेट की साजिश: अनिल टुटेजा ने शराब नीति में बदलाव कर अपने करीबी डिस्टिलरों को फायदा पहुंचाया, जबकि अनवर ढेबर ने कमीशन इकट्ठा कर राजनीतिक नेताओं और अधिकारियों के साथ साझा किया।
झारखंड कनेक्शन: टुटेजा, ढेबर, और त्रिपाठी ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर वहां की आबकारी नीति में बदलाव की साजिश रची, जिससे अवैध लाभ कमाया गया।
ईडी ने इस मामले में अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा, अनवर ढेबर, अरुणपति त्रिपाठी, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, नितेश पुरोहित, और अन्य के खिलाफ कार्रवाई की। 21 अप्रैल 2024 को टुटेजा और उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया था और दोनों रायपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
राजनीतिक साजिश के आरोप
टुटेजा ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर करते हुए दावा किया कि उन्हें तत्कालीन कांग्रेस सरकार के खिलाफ राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया गया है। उनके वकील ने तर्क दिया कि ईडी और आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) पक्षपातपूर्ण जांच कर रहे हैं, और उनके खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं हैं। उन्होंने हाईकोर्ट की निगरानी में जांच की मांग की।
इसके जवाब में, उपमहाधिवक्ता डॉ. सौरभ पांडेय ने कोर्ट को बताया कि टुटेजा एक प्रभावशाली प्रशासनिक अधिकारी हैं, और उनके खिलाफ शराब घोटाले के अलावा डीएमएफ, कोयला घोटाला, और नान घोटाले में भी गंभीर आरोप हैं। ईडी ने उनकी 15.82 करोड़ रुपये की 14 संपत्तियां कुर्क की हैं, जो घोटाले से अर्जित अवैध आय का हिस्सा हैं। पांडेय ने यह भी तर्क दिया कि जमानत मिलने से जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि टुटेजा के पास सबूतों से छेड़छाड़ करने की क्षमता है।
हाईकोर्ट का फैसला
जस्टिस अरविंद वर्मा की एकलपीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद टुटेजा की जमानत याचिका और जांच की निगरानी की मांग को खारिज कर दिया। कोर्ट ने माना कि ईडी और EOW के पास टुटेजा के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, और उनकी प्रभावशाली स्थिति को देखते हुए जमा नत देने से केस पर असर पड़ सकता है।
अन्य घोटालों में टुटेजा की भूमिका
ईडी ने दावा किया कि टुटेजा न केवल शराब घोटाले, बल्कि निम्नलिखित मामलों में भी शामिल हैं:
डीएमएफ घोटाला: जिला खनिज न्यास निधि (DMF) में अनियमितताओं के आरोप।
कोयला घोटाला: कोयला परिवहन और बिक्री में अवैध वसूली।
नान घोटाला: नागरिक आपूर्ति निगम (NAN) में भ्रष्टाचार के आरोप।
इन मामलों में भी टुटेजा के खिलाफ जांच जारी है, और EOW ने 15 जिला आबकारी अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया है।
कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की कार्रवाइयों को राजनीति से प्रेरित बताया और कहा कि यह भाजपा की साजिश है। उनके बेटे चैतन्य बघेल को भी मार्च 2025 में ईडी ने समन भेजा था, जिसे उन्होंने खारिज किया। दूसरी ओर, ईडी और EOW का दावा है कि घोटाले में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ, जिसमें तत्कालीन सरकार के करीबी लोग शामिल थे।