CG High Court :छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी महिला से जबरन “आई लव यू” कहना, उसका हाथ पकड़ना और अपनी ओर खींचना, उसकी मर्यादा का उल्लंघन है और यह आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है। हालांकि, यदि पीड़िता की नाबालिग उम्र प्रमाणित नहीं हो पाती, तो आरोपी पर पॉक्सो एक्ट (POCSO Act) लागू नहीं किया जा सकता। इसी आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपी की सजा में आंशिक राहत दी है।
हाईकोर्ट ने पॉक्सो एक्ट हटाया
जस्टिस एनके चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पीड़िता की उम्र को लेकर दस्तावेजी साक्ष्य में विरोधाभास है। स्कूल रिकॉर्ड में जन्मतिथि कुछ और थी, जबकि पिता की गवाही में अलग वर्ष बताया गया। न तो जन्म प्रमाणपत्र पेश किया गया और न ही कोई वैध सरकारी दस्तावेज। कोर्ट ने माना कि उम्र संदेह से परे साबित नहीं हो सकी, इसलिए पॉक्सो एक्ट की धारा 8 लागू नहीं हो सकती।
महिला की गरिमा पर कोई समझौता नहीं
हालांकि, कोर्ट ने यह भी साफ कहा कि इस तरह का व्यवहार महिला की गरिमा और यौन शालीनता पर सीधा आघात करता है। सुप्रीम कोर्ट के पुराने फैसलों का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि “मर्यादा” का अर्थ केवल शारीरिक क्षति नहीं, बल्कि महिला की आत्मसम्मान और सम्मानजनक सामाजिक स्थिति से भी जुड़ा है।
सजा में संशोधन, दोष बरकरार
रायगढ़ के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने पहले आरोपी को आईपीसी की धारा 354 और पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने पॉक्सो की धारा को हटाते हुए धारा 354 के तहत दोष बरकरार रखा और सजा को घटाकर एक वर्ष कर दिया। आरोपी फिलहाल जमानत पर है और उसे शेष सजा के लिए आत्मसमर्पण करने के निर्देश दिए गए हैं।
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