CG Farmers Compensation: छत्तीसगढ़ के किसानों को SC से बड़ी राहत, अब मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा और विशेष क्षतिपूर्ति

CG Farmers Compensation: छत्तीसगढ़ के किसानों को SC से बड़ी राहत, अब मिलेगा अतिरिक्त मुआवजा और विशेष क्षतिपूर्ति

CG Farmers Compensation: छत्तीसगढ़ के हजारों किसानों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक और निर्णायक आदेश पारित किया है। अब राज्य के वे किसान जिनकी जमीन अधिग्रहित की जा चुकी है, लेकिन मुआवज़े और ब्याज संबंधी आवेदनों पर सुनवाई नहीं हो पा रही थी, उन्हें जल्द ही अतिरिक्त मुआवज़ा और विशेष क्षतिपूर्ति मिलने की उम्मीद है।

सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि राज्य में भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्स्थापना प्राधिकरण का गठन तत्काल प्रभाव से पूरा किया जाए और किसानों के लंबित मामलों पर नई नियुक्त अध्यक्ष की अध्यक्षता में सुनवाई शुरू हो।

लंबे समय से बंद पड़ा था प्राधिकरण

राज्य के कई जिलों में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तो पूरी हो चुकी थी, लेकिन 2013 के कानून (The Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement Act, 2013) के तहत मिलने वाले अतिरिक्त लाभ किसानों को नहीं दिए जा सके, क्योंकि वर्षों से प्राधिकरण अध्यक्ष की नियुक्ति ही नहीं हो सकी थी।

इससे जुड़े सैकड़ों किसानों ने मुआवज़ा, ब्याज और विशेष लाभ के लिए आवेदन कर रखे थे, लेकिन प्राधिकरण निष्क्रिय होने के कारण सभी अर्जियां अधर में लटकी थीं।

बाबूलाल की याचिका बनी निर्णायक

सारंगढ़-बिलाईगढ़ के किसान बाबूलाल ने 2018 में अपनी जमीन अधिग्रहित होने के बाद मुआवज़े के लिए आवेदन किया था। लेकिन उन्हें कानून के तहत मिलने वाला लाभ नहीं मिल पाया क्योंकि प्राधिकरण में अध्यक्ष नहीं था। हाई कोर्ट ने इसे “व्यक्तिगत मामला” मानते हुए उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

इसके बाद बाबूलाल ने वरिष्ठ अधिवक्ता अभिनव श्रीवास्तव के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की डिवीजन बेंच ने मामले को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार से जवाब तलब किया।

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दो माह में करें नियुक्ति, वरना होगी सख्त कार्रवाई

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सरकार को दो महीने के भीतर प्राधिकरण का गठन पूरा करने का आदेश दिया था और चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

हालांकि सरकार की ओर से बताया गया कि 28 अप्रैल 2025 को इस दिशा में कार्य शुरू किया गया, लेकिन कोर्ट ने रिकॉर्ड का अवलोकन करने के बाद स्पष्ट किया कि “यह प्राधिकरण कई वर्षों से पूरी तरह निष्क्रिय है” और अब इसमें और कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

अब होगा किसानों के दावों पर सुनवाई

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह भी पूछा कि किसानों को वर्षों तक इंतजार करवाने के लिए अतिरिक्त विशेष मुआवजा क्यों न दिया जाए? इसी बीच राज्य सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि अगस्त 2025 में सेवानिवृत्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश हीरेन्द्र सिंह टेकाम को प्राधिकरण का अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया है। अब नई अध्यक्षता में किसानों के दावों की सुनवाई शुरू होगी, जिससे हजारों प्रभावित किसान राहत की सांस ले सकेंगे।

किसानों को अब कैसे मिलेगा मुआवज़ा?

अब जब अध्यक्ष की नियुक्ति हो चुकी है, तो उन सभी किसानों को, जिनकी जमीन वर्ष 2013 के बाद अधिग्रहित की गई है, यह अधिकार होगा कि वे प्राधिकरण के समक्ष अपना दावा प्रस्तुत करें। इसमें वे बकाया मुआवज़ा, ब्याज, पुनर्वास पैकेज, विशेष क्षतिपूर्ति आदि की मांग कर सकेंगे।

राज्य सरकार को चाहिए कि वे एक आधिकारिक पोर्टल या हेल्पलाइन भी जारी करें ताकि किसान प्रक्रिया को समझ सकें और समय पर आवेदन कर सकें।


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