Chhattisgarh Crime News: पति-पत्नी का रिश्ता भरोसे की बुनियाद पर टिका होता है, लेकिन जब इस रिश्ते में शक की दरारें पड़ने लगे तो नतीजे खतरनाक हो सकते हैं। सूरजपुर जिले के मानी गांव से ऐसा ही एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां एक पत्नी ने अपने ही पति को जिंदा जला डाला। वजह था पति की ओर से बार-बार पत्नी के चरित्र पर शक करना। डेढ़ महीने बाद पुलिस ने आरोपी पत्नी को गिरफ्तार कर लिया है।
5-6 अगस्त की दरमियानी रात हुई घटना
यह सनसनीखेज वारदात 5-6 अगस्त की दरमियानी रात मानी चौक के पास हुई। गांव के सुपारी लाल, जो SECL में कोयला लोड वाहनों में सील लगाने का काम करते थे, रोज की तरह खाना खाकर अपने घर के खाट पर सोए हुए थे। लेकिन अगली सुबह यानी 6 अगस्त को लगभग 4 बजे उनकी खाट में अचानक आग लग गई।
सुपारी लाल आग की लपटों से घिरे हुए चीखते-चिल्लाते बाहर भागे। पड़ोसियों ने दौड़कर आग बुझाई और उन्हें गंभीर हालत में जिला अस्पताल पहुंचाया गया। यहां से हालत नाजुक होने पर उन्हें अंबिकापुर और फिर रायपुर रेफर किया गया, लेकिन रास्ते में ही 85% जल चुके सुपारी लाल ने दम तोड़ दिया।
पूछताछ में पत्नी के चौंकाने वाले खुलासे
शुरुआत में यह एक हादसा माना जा रहा था, लेकिन घटनास्थल पर मिले सुरागों और मृतक की हालत को देखकर पुलिस को शक हुआ। कोतवाली पुलिस ने जब जांच को आगे बढ़ाया, तो सच्चाई सामने आई। पूछताछ के दौरान मृतक की पत्नी मूर्ति बाई रजवाड़े ने चौंकाने वाला खुलासा किया।
मूर्ति बाई ने पुलिस को बताया कि उसका पति अक्सर उसके चरित्र पर शक करता था और बात-बात पर ताने देता था। यह विवाद एक बार पंचायत तक भी पहुंचा था। इसी मानसिक प्रताड़ना से परेशान होकर उसने पति को मारने की साजिश रची। 5 अगस्त की रात जब सुपारी लाल गहरी नींद में सो रहे थे, तब मूर्ति बाई ने खाट पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी और बाहर जाकर शोर मचाने लगी ताकि किसी को उस पर शक न हो।
लेकिन पुलिस की बारीक छानबीन और गवाहों के बयान ने आखिरकार सच सामने ला दिया। मूर्ति बाई के कबूलनामे के बाद पुलिस ने उसे हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश कर केंद्रीय जेल अंबिकापुर भेज दिया है।
पुलिस ने क्या कहा
सूरजपुर कोतवाली थाना प्रभारी विमलेश दुबे ने बताया कि मामले की शुरुआत में तो पत्नी ने हाथ होने से इंकार किया गया। लेकिन जब कार्रवाई की गई तो पता चला कि जिस रात यह हादसा हुआ उस दिन घर पर पति पत्नी के अलावा कोई और मौजूद ही नहीं था। बाद में मूर्ति बाई ने अपना जुर्म कुबूल किया। उसने बताया कि उसका पति उसके चरित्र पर शक किया करता था, जिससे वो मानसिक रूप से परेशान रहने लगी थी। इसी कारण उसने यह कदम उठाया।
उन्होंने आगे कहा कि बहरहाल यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि रिश्तों की संवेदनशीलता का भी आईना है। जब विश्वास की जगह संदेह ले लेता है और बातचीत की जगह गलतफहमियां आ जाएं, तो नतीजे भयावह हो सकते हैं।