बस्तर संभाग में झीरम घाटी हमले के मास्टरमाइंड और दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के कुख्यात सदस्य चैतू उर्फ श्याम दादा ने शुक्रवार को आत्मसमर्पण कर दिया. उसके साथ नौ अन्य नक्सलियों ने भी हथियार छोड़ दिए. बस्तर आईजी पी. सुंदरराज के सामने सभी नक्सलियों ने सरेंडर की औपचारिकता पूरी की. चैतू नक्सल संगठन का बड़ा चेहरा माना जाता था. उस पर 25 लाख रुपये का इनाम था. इस सामूहिक सरेंडर को नक्सल मोर्चे पर सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता माना जा रहा है.
आईजी पी. सुंदरराज ने कहा कि चैतू उर्फ श्याम दादा लंबे समय से दरभा डिवीजन का प्रभारी भी रहा. 2013 में हुए झीरम घाटी हमले में उसकी मुख्य भूमिका का आरोप है. इस हमले में कई वरिष्ठ कांग्रेस नेता और 27 लोग मारे गए थे. इस घटना के बाद चैतू सुरक्षा बलों की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल हो गया था. सरेंडर करने वाले नक्सलियों में कई हाई रैंक के कैडर शामिल हैं. इनमें डीसीवीएम सरोज उर्फ 8 लाख ईनामी, भूपेश उर्फ सहायक राम ACM, प्रकाश ACM, कमलेश उर्फ झितरु ACM, जननी उर्फ रयमती कश्यप ACM, संतोष उर्फ सन्नू ACM, नवीन ACM, रमशीला PM और जयती कश्यप PM शामिल हैं. इन सभी पर कुल मिलाकर 65 लाख रुपये का इनाम घोषित था.
हिडमा की मौत से घबराहट बढ़ी, कई बड़े नक्सली संगठन छोड़ चुके
बस्तर पुलिस के अनुसार लगातार दबाव, चल रहे ऑपरेशन और सरकार द्वारा सरेंडर नीति के प्रचार का असर दिख रहा है. पिछले कुछ महीनों में कई बड़े नक्सली संगठन छोड़ चुके हैं. कुछ समय पहले दुर्दांत माओवादी माडवी हिडमा मुठभेड़ में मारा गया था. टेक शंकर भी हाल ही में हुई कार्रवाई में ढेर कर दिया गया. यह सरेंडर नक्सल संगठन के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. सुरक्षा एजेंसियां इसे बस्तर के लिए बहुत महत्वपूर्ण मोड़ बता रही हैं.
हथियार उठाने वालों से बातचीत नहीं
नक्सलियों की ओर से भी युद्ध विराम की अपील वाले लेटर सामने आए थे. हालांकि सरकार ने साफ कर दिया है कि हथियार उठाने वालों से बातचीत नहीं होगी. मुख्यधारा में लौटने के लिए सरेंडर ही एकमात्र रास्ता है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही यह लक्ष्य घोषित कर चुके हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद का सफाया कर दिया जाएगा. इस घोषणा के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन तेज कर दिए हैं. अधिकारियों का कहना है कि दबाव बढ़ने के चलते शीर्ष स्तर के नक्सली भी अब सरेंडर करने को मजबूर हो रहे हैं.
