पतोरा: छत्तीसगढ़ का एक छोटा सा गांव पतोरा अब अंतरराष्ट्रीय पहचान की ओर अग्रसर है। यूनिसेफ के दक्षिण एशिया प्रमुख फ्रांसिस ओधियाम्बो ने बुधवार को ग्राम पंचायत पतोरा के दौरे के दौरान कहा – “काश हर गांव पतोरा जैसा होता।” यह बयान पतोरा के जल-संरक्षण, स्वच्छता और सामुदायिक भागीदारी के अद्वितीय मॉडल को वैश्विक मान्यता देने जैसा है। इस अवसर पर यूनिसेफ के WASH प्रमुख व स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के पूर्व निदेशक सुजॉय मजुमदार सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल की टीम ने ग्राम पंचायत द्वारा किए गए नवाचारों का अवलोकन किया। पंचायत भवन में आयोजित संवाद सत्र में सरपंच भुनेश्वर प्रसाद साहू और सचिव महेन्द्र कुमार साहू ने गांव में वर्षा जल संचयन, ग्रे वॉटर रीसायक्लिंग, ठोस-तरल अपशिष्ट प्रबंधन, शौचालय उपयोग में बढ़ोत्तरी और स्वच्छता व्यवहार परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में किए गए प्रयासों को विस्तार से प्रस्तुत किया।

FSTP बना आकर्षण का केंद्र
भ्रमण का प्रमुख आकर्षण रहा फीकल स्लज ट्रीटमेंट प्लांट (FSTP)। इस प्लांट को वॉटरएड, ग्राम पंचायत पतोरा और स्वच्छ भारत मिशन के सहयोग से विकसित किया गया है। वॉटरएड के राज्य कार्यक्रम निदेशक मानस बिस्वाल ने टीम को FSTP सहित पूरे गांव का दौरा कराया, जहां उन्होंने नवाचारों को प्रत्यक्ष रूप से दिखाया। फ्रांसिस ओधियाम्बो ने कहा कि पतोरा ने यह दिखा दिया है कि जब पंचायत नेतृत्व, विभागीय सहयोग और जनसहभागिता मिलकर काम करें, तो गांव भी अंतरराष्ट्रीय उदाहरण बन सकते हैं। हम चाहते हैं कि भारत के अन्य गांव भी इस मॉडल से प्रेरित हों।”

ये लोग रहे उपस्थित
भ्रमण में जिला पंचायत APO पीताम्बर यादव, SBM जिला सलाहकार राजेश टांडेकर, जल जीवन मिशन से भावेश बनवाकर, वॉटरएड के सौरभ कुमार, लुकेश्वर साहू, जनप्रतिनिधिगण, स्वच्छता ग्राही, जल बहिनी दीदी और बड़ी संख्या में ग्रामीणजन शामिल रहे।