मोहला-मानपुर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कोराचा-बुकमरका मार्ग पर गट्टेगहन नदी के ऊपर बना पुल लगातार बारिश के कारण तीसरी बार टूट गया है। इस घटना ने क्षेत्र की जनता को भारी परेशानी में डाल दिया है। संबलपुर, बुकमरका, और सुड़ियाल जैसे गांव अब टापू में तब्दील हो गए हैं, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है।
बच्चों का स्कूल जाना बंद हो गया है और संबलपुर पुलिस कैंप का मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। कई राहगीर नदी के उस पार फंसे हुए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि इंजीनियरों और ठेकेदारों की मनमानी और घटिया निर्माण के कारण यह स्थिति बार-बार उत्पन्न हो रही है।
तीसरी बार टूटा पुल, गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों के अनुसार, गट्टेगहन नदी पर बना यह पुल पिछले दो सालों में तीसरी बार टूटा है। पिछले साल भी बारिश के मौसम में यह पुल दो बार क्षतिग्रस्त हो चुका था। हाल ही में, एक महीने पहले इसकी मरम्मत की गई थी, लेकिन घटिया निर्माण सामग्री और लापरवाही के कारण यह फिर से ध्वस्त हो गया। यह पुल महाराष्ट्र सीमा के पास बसे नक्सल प्रभावित बुकमरका और सुड़ियाल गांवों को मुख्यालय से जोड़ने के लिए बनाया गया था। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण में गुणवत्ता की कमी के कारण यह बार-बार टूट रहा है, जिससे उनकी जिंदगी और मुश्किल हो गई है।
दो साल पहले बना था पुल
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत दो साल पहले कोराचा से बुकमरका तक सड़क और पुल का निर्माण किया गया था। लेकिन निर्माण के एक साल के भीतर ही सड़क उखड़ने लगी थी, और यह पुल भी बार-बार टूट रहा है। इस मार्ग पर बने अन्य पुल भी क्षतिग्रस्त हालत में हैं और किसी भी समय टूट सकते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस तरह की लापरवाही न केवल उनकी सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि क्षेत्र के विकास को भी बाधित कर रही है।
जिम्मेदारों पर कार्रवाई का आश्वासन
पिछले साल जब यह पुल टूटा था, तब स्थानीय सांसद संतोष पांडे और डिप्टी सीएम विजय शर्मा को निर्माण में भ्रष्टाचार और गुणवत्ता की कमी की शिकायत दी गई थी। दोनों नेताओं ने गुणवत्तापूर्ण निर्माण और जिम्मेदारों पर कार्रवाई का आश्वासन दिया था। लेकिन न तो निर्माण की गुणवत्ता सुधरी और न ही ठेकेदारों या इंजीनियरों पर कोई कार्रवाई हुई। नतीजतन, इस साल फिर से पुल टूटने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ठेकेदार को तत्काल मरम्मत का आदेश दिया
पीएमजीएसवाय के सब-डिविजनल ऑफिसर (SDO) विजय सोनी ने बताया कि उन्हें पुल टूटने की जानकारी मिली है और ठेकेदार को तत्काल मरम्मत का आदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि नदी का जलस्तर कम होने के बाद पुल का निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। हालांकि, दो साल में तीन बार पुल टूटने के बावजूद जिम्मेदार इंजीनियरों और ठेकेदारों पर कार्रवाई न होने के सवाल पर एसडीओ ने कोई ठोस जवाब नहीं दिया। इससे यह स्पष्ट होता है कि जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा ठेकेदारों को संरक्षण दिया जा रहा है।
जनता की परेशानी
पुल के टूटने से न केवल स्थानीय लोगों का आवागमन प्रभावित हुआ है, बल्कि बच्चों की शिक्षा और पुलिस कैंप की सुरक्षा व्यवस्था भी खतरे में है। ग्रामीणों ने मांग की है कि इस बार गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित किया जाए और जिम्मेदार ठेकेदारों व इंजीनियरों पर सख्त कार्रवाई की जाए। वे यह भी चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए निर्माण कार्य की कड़ी निगरानी की जाए।