CG Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ में 200 से ज्यादा नक्सलियों का सरेंडर, हाथ में गुलाब और संविधान लेकर मुख्यधारा में लौटे

CG Naxal Surrender: छत्तीसगढ़ में 200 से ज्यादा नक्सलियों का सरेंडर, हाथ में गुलाब और संविधान लेकर मुख्यधारा में लौटे

CG Naxal Surrender: बस्तर की धरती आज इतिहास के एक ऐसे अध्याय की साक्षी बनी, जो आने वाले समय में शांति, विकास और विश्वास की नई मिसाल के रूप में जाना जाएगा। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा की उपस्थिति में आज जगदलपुर पुलिस लाइन में लगभग 200 से अधिक हार्डकोर नक्सली ने आत्मसमर्पण किया। इस समर्पण ने न सिर्फ राज्य की आंतरिक सुरक्षा को नई दिशा मिली है, बल्कि दशकों से हिंसा की छाया में जी रहे बस्तर क्षेत्र में उम्मीद की नई किरण भी जगी है।

दंडकारण्य क्षेत्र से हुआ सबसे बड़ा सरेंडर

इस बड़े समर्पण समारोह में शामिल माओवादी छत्तीसगढ़ के सबसे अधिक प्रभावित इलाकों- माड़ डिवीजन और कांकेर क्षेत्र की बटालियन नंबर 5- से आए हैं। ये सभी दंडकारण्य क्षेत्र के वरिष्ठतम माओवादी कैडर रहे हैं, जो वर्षों से सक्रिय थे। आत्मसमर्पण करने वालों में एक सेंट्रल कमेटी मेंबर (CCM), दो DKSZC सदस्य, 15 डिविजनल कमेटी सदस्य (DVCM), एक माड़ एरिया कमेटी सदस्य और 121 अन्य सक्रिय नक्सली कैडर शामिल हैं।

इनके साथ लगभग 100 से अधिक हथियारों का भी आत्मसमर्पण हुआ, जिनका प्रदर्शन भी समारोह में किया गया। समारोह के दौरान गुलाब और संविधान की प्रति हाथ में लेकर ये माओवादी मुख्यधारा में लौटे और हिंसा का रास्ता छोड़कर समाज में पुनर्वास की पहल को अपनाया।

रूपेश के नेतृत्व में हुई वापसी, खाली हुआ माड़ डिवीजन

सरेंडर करने वाले नक्सलियों का नेतृत्व वरिष्ठ प्रवक्ता रूपेश ने किया है। यह वही रूपेश है जो कई वर्षों से नक्सली संगठन के बड़े रणनीतिकारों में गिना जाता रहा है। पुलिस और खुफिया एजेंसियों की निगरानी में रहे ये सभी नक्सली आज सुबह भैरमगढ़ से रवाना होकर जगदलपुर के रिजर्व पुलिस लाइन पहुंचे, जहां उन्होंने मुख्यमंत्री और गृह मंत्री के सामने आत्मसमर्पण किया। इस समर्पण के साथ माड़ डिवीजन अब लगभग पूरी तरह खाली हो जाएगा, जो राज्य सरकार की नक्सल उन्मूलन रणनीति के लिए एक बड़ी सफलता मानी जाएगी।

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सीएम साय ने कहा- यह शांति की ओर निर्णायक कदम

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इस अवसर को ऐतिहासिक बताते हुए कहा, “बस्तर की असली ताकत यहां के लोगों की शिक्षा, आजीविका और आत्मसम्मान में है। हमारी सरकार की जनभागीदारी और विकास आधारित नीति ने बस्तर के सुदूर इलाकों तक भरोसे का माहौल तैयार किया है। यह समर्पण समारोह नक्सल उन्मूलन की दिशा में एक निर्णायक मोड़ है।”

गृह मंत्री विजय शर्मा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य केवल बंदूकें छुड़वाना नहीं है, बल्कि इन लोगों को सामाजिक और आर्थिक मुख्यधारा में पुनर्स्थापित करना है। सभी आत्मसमर्पित नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत सरकारी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा।

सरकार की नीति लाई रंग

बस्तर आईजी सुंदरराज पी. की मौजूदगी में हुए इस आयोजन ने यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य की समर्पण और पुनर्वास नीति अब प्रभावी ढंग से जमीन पर उतर चुकी है। पिछले कुछ वर्षों में सुरक्षा बलों द्वारा बढ़ाए गए दबाव और सरकार की ओर से संवाद के लिए दिए गए मंच ने माओवादी कैडरों को आत्ममंथन का अवसर दिया।

हथियारों की प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

समारोह स्थल पर आत्मसमर्पित नक्सलियों द्वारा लाए गए 100 से अधिक हथियारों की प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसमें राइफल्स, रिवॉल्वर, वायरलेस सेट्स, विस्फोटक उपकरण जैसे घातक हथियार शामिल हुए। ये वही हथियार हैं जो कभी सुरक्षा बलों और आम जनता के बीच डर का कारण बने थे, लेकिन आज उन्होंने शांति और विश्वास के प्रतीक के रूप में अपनी भूमिका बदली।


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