रायपुर: प्रदेश में इस साल मानसून की शुरुआत बेहद कमजोर रही है। 1 जून से 13 जून तक प्रदेश में औसतन 13.4 मिमी बारिश दर्ज की गई, जबकि सामान्य तौर पर 39.3 मिमी होनी चाहिए थी। इस प्रकार प्रदेश में 66 प्रतिशत वर्षा की कमी रही है, जिसे मौसम विभाग ने लार्ज डिफिशिएंट (अत्यधिक कमी) की श्रेणी में रखा है।
मौसम केंद्र के आंकड़ों के अनुसार, कुल 33 में से 25 जिले वर्षा की कमी से जूझ रहे हैं। इनमें से कोंडागांव में बिल्कुल वर्षा नहीं हुई है। वहीं, सारंगढ़-बिलाईगढ़, सुकमा, नारायणपुर, मुंगेली, महासमुंद, जांजगीर, बिलासपुर, बेमेतरा, कबीरधाम जैसे जिलों में वर्षा की कमी 80 से 100 प्रतिशत तक दर्ज की गई है।
कोरबा को छोड़कर सबकी स्थिति खराब
कोरबा इकलौता जिला रहा जहां 34 प्रतिश अधिक वर्षा हुई हैमें। रायपुर छह प्रतिशत, रायगढ़ में 14 और बीजापुर में एक प्रतिशत कम को सामान्य श्रेणी में रखा गया है। कोंडागांव में 0 मिमी और सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 0.2 मिमी सबसे खराब स्थिति में हैं। महासमुंद, मुंगेली, नारायणपुर और सुकमा में 90 प्रतिशत से अधिक की गिरावट दर्ज की गई।
मई के एक सप्ताह में ही पर्याप्त बारिश दर्ज की गई
इस साल मई महीने में औसत से 374 फीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई। 22 से 28 मई के बीच 53.51 मिमी वर्षा हुई, जिससे मई का महीना रिकार्ड बनाने वाला बन गया। लेकिन जून में मानसून की रफ्तार थम गई है। बीते 13 दिनों से मानसून ठहरा हुआ है और आगे नहीं बढ़ पा रहा। प्रदेश में हर साल औसतन 1,200 मिमी बारिश होती है। बीते वर्ष यह आंकड़ा 1276.3 मिमी तक पहुंचा था। किसानों को अब जून की बारिश का इंतजार है।
बीते वर्षों की तुलना में खराब मानसून
जून का आधा महीना बीत चुका है, लेकिन अब तक मानसून की झलक भर ही नजर आई है। एक जून से 13 जून तक महज 13.4 मिमी औसत बारिश दर्ज की गई है, जो बीते दस वर्षों में सबसे कम बारिश में से एक है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है और खेतों में सन्नाटा पसरा हुआ है।
बारिश के आंकड़ों पर नजर डालें तो साल 2020 और 2021 सबसे अच्छे वर्ष साबित हुए थे, जब क्रमशः 270.9 मिमी और 258.8 मिमी वर्षा जून महीने में हुई थी। इसके बाद 2023 में भी 183.8 मिमी और 2018 में 167.4 मिमी की रिकार्ड बारिश दर्ज की गई थी। लेकिन 2025 में बारिश की चाल बेहद सुस्त है, और अब तक केवल 13.4 मिमी ही बरसात हो सकी है।