CG Congress ED Summon: छत्तीसगढ़ में बहुचर्चित शराब घोटाला मामले की जांच लगातार तेज हो रही है। सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने प्रदेश कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में पहुंचकर कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को समन थमाया। जानकारी के मुताबिक, यह समन सुकमा और कोंटा में बने कांग्रेस कार्यालय भवनों से जुड़ा है।
कांग्रेस दफ्तर पर ED की एंट्री और समन जारी
बताया जा रहा है कि ED की चार सदस्यीय टीम सुरक्षा बलों के साथ PCC दफ्तर पहुंची और मलकीत सिंह गैदू को पूछताछ के लिए नोटिस दिया। समन में उनसे भवन निर्माण से जुड़े चार बिंदुओं पर स्पष्टीकरण मांगा गया है। उन्हें 27 फरवरी तक जवाब पेश करने के निर्देश दिए गए हैं। गैदू ने मीडिया से कहा – “मैंने समन रिसीव कर लिया है। सुकमा-कोंटा में भवन निर्माण से जुड़े सवालों पर बड़े नेताओं और अधिवक्ताओं से चर्चा कर जवाब पेश करूंगा।”
कांग्रेस का BJP और RSS के दफ्तरों पर सवाल
ED की कार्रवाई पर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने कड़ा रुख अपनाया है। प्रदेश कांग्रेस संचार प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा – “BJP के इशारे पर ED अपनी सीमाएं लांघ रही है। विपक्ष में रहते हुए हमने जनता के सहयोग से कार्यालय बनाया। अगर हिम्मत है तो ED बीजेपी के 150 करोड़ से बने दफ्तर और RSS के 500 करोड़ के मुख्यालय की जांच करे।” इस बयान के बाद यह मामला सिर्फ कानूनी ही नहीं बल्कि राजनीतिक रंग भी लेता दिख रहा है।
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पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पहले से जेल में
इस पूरे विवाद का सबसे बड़ा नाम है – पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा। उन्हें ED ने 15 जनवरी को गिरफ्तार किया था। तब से वे लगातार जेल में हैं और फिलहाल 4 मार्च तक न्यायिक रिमांड पर हैं।
ED का आरोप है कि लखमा शराब सिंडिकेट के अहम हिस्सा थे और उन्हीं के इशारे पर गड़बड़ियां की जाती थीं। यही नहीं, शराब नीति में बदलाव लाकर उन्होंने FL-10 लाइसेंस की शुरुआत कराई, जिससे घोटाले को बढ़ावा मिला।
ED के आरोप – कमीशन से बना घर और कांग्रेस भवन
ED के वकील सौरभ पांडेय ने अदालत में कहा कि यह शराब घोटाला लगभग तीन साल तक चला और लखमा को हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए कमीशन मिलता था।
- 36 महीनों में यह रकम लगभग 72 करोड़ रुपए हो गई।
- यही पैसा उनके बेटे हरीश कवासी के घर और कांग्रेस भवन निर्माण में लगाया गया।
2,161 करोड़ का घोटाला – सरकार को बड़ा नुकसान
ED की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, 2019 से 2022 के बीच इस शराब सिंडिकेट ने अवैध रूप से करीब 2,161 करोड़ रुपए कमाए। इसमें अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और कई बड़े अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि इस अवैध कमाई से न केवल सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ बल्कि पूरी शराब सप्लाई चेन भ्रष्टाचार में डूब गई।
राजनीति और कानून की जंग तेज
छत्तीसगढ़ में यह मामला अब सिर्फ कानूनी नहीं बल्कि पूरी तरह राजनीतिक बन चुका है। कांग्रेस का आरोप है कि ED सरकार गिराने के लिए दबाव बना रही है, जबकि बीजेपी का कहना है कि यह सिर्फ भ्रष्टाचार उजागर करने की कार्रवाई है।
सवाल यह भी है कि क्या ED की जांच सिर्फ कांग्रेस तक सीमित रहेगी या फिर बीजेपी और अन्य संगठनों के फंडिंग पैटर्न पर भी कार्रवाई होगी। छत्तीसगढ़ का यह शराब घोटाला राज्य की राजनीति को हिला चुका है। अब देखना होगा कि कानूनी कार्रवाई और राजनीतिक टकराव किस मोड़ पर जाकर रुकता है।