बिहार में एनडीए की आंधी में ना सिर्फ महागठबंधन का सूपड़ा साफ हो गया, बल्कि जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर को भी करारा झटका लगा है। तीसरी ताकत के रूप में जमीन तलाशने उतरी जनसुराज को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली है। जनसुराज के उसके सबसे चर्चित उम्मीदवारों में से एक मनीष कश्यप भी चुनाव हार गए हैं। चुनाव से ठीक पहले भाजपा छोड़कर प्रशांत किशोर के साथ जुड़े कश्यप ने दम जरूर दिखाया और करीब 35 हजार वोट हासिल करने में कामयाब रहे।
एक यूट्यूबर के रूप में मशहूर हुए मनीष कश्यप के करियर ने तब नया मोड़ ले लिया जब एक आरजेडी और जेडीयू की गठबंधन सरकार के दौरान कथित फेक न्यूज के मामले में उन्हें जेल जाना पड़ा था। मनीष कश्यप यूट्यूब वाली पत्रकारिता छोड़कर राजनीति की राह पर आगे बढ़ गए और आरेजडी खासकर तेजस्वी यादव को जमकर निशाने पर रखने लगे। दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है वाली कहावत के तर्ज पर वह भाजपा में शामिल हो गए। हालांकि, विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कश्यप का भाजपा से मतभेद हो गया और वह पीके के साथ हो लिए।
पीके ने मनीष कश्यप को चनपटिया टिकट दिया था। युवाओं के बीच अच्छी लोकप्रियता हासिल कर चुके मनीष कश्यप जीत से तो काफी दूर रह गए, लेकिन 35 हजार वोट लाकर वह अपनी पार्टी में सर्वाधिक वोट हासिल करने वाले उम्मीदवारों में एक रहे। चनपटिया में शाम 5 बजे तक कुल 24 में से 22 राउंड की गिनती हो चुकी थी। कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक रंजन 80 से अधिक वोट पाकर सबसे आगे थे। भाजपा के उमाकांत सिंह 828 वोट से पीछे थे। वहीं, मनीष कश्यप 34401 वोट हासिल कर चुके थे।
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