Bastar Dussehra News: पीहू तीसरी बार बनेंगी काछनदेवी, कांटों भरे झूले पर झूलकर करेंगी बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा…

Bastar Dussehra News:  पीहू तीसरी बार बनेंगी काछनदेवी, कांटों भरे झूले पर झूलकर करेंगी बस्तर दशहरा की रथ परिक्रमा…

Bastar Dussehra News: बस्तर l 17 सितंबर 2025 विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा की अनोखी और अद्भुत परंपराओं में से एक काछनगादी विधान इस वर्ष 21 सितंबर को भंगाराम चौक स्थित काछन गुड़ी में संपन्न होगा। इस खास परंपरा में एक नाबालिग कन्या को काछन देवी के रूप में सजाया जाता है और बेल के कांटों से बने झूले पर झुलाया जाता है। इस बार लगातार तीसरे वर्ष पीहू दास को काछन देवी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इससे पहले भी वे 2023 और 2024 में यह दायित्व निभा चुकी हैं।

पीहू दास जो कि एक निजी स्कूल में कक्षा तीसरी की छात्रा हैं, काछन देवी बनने को लेकर बेहद उत्साहित हैं। हालांकि उन्होंने बताया कि दशहरा पर्व के दौरान चलने वाले लगभग पंद्रह दिनों के अनुष्ठानों के कारण उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है, जिससे उन्हें थोड़ी चिंता रहती है। बावजूद इसके वह त्योहार के बाद अपनी सहेलियों की मदद से पढ़ाई में हुई कमी को पूरा कर लेती हैं। पीहू ने बताया कि उन्हें देवी बनना बहुत अच्छा लगता है और वह भविष्य में भी इस तरह का सम्मान प्राप्त करना चाहती हैं। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि उनका सपना आईएएस अफसर बनने का है, जिसके लिए वह पूरी लगन से पढ़ाई कर रही हैं।

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Bastar Dussehra News : बस्तर दशहरे का यह परंपरागत विधान आदिकालीन मान्यताओं से जुड़ा हुआ है, जिसमें कन्या को देवी स्वरूप मानकर कांटों से बने झूले पर झुलाया जाता है और रथ परिक्रमा कराई जाती है। इस अनुष्ठान के पीछे क्षेत्रीय आस्था और शक्ति की देवी दंतेश्वरी माता की पूजा की गहरी भावना जुड़ी होती है। पिछले दो दशकों में उर्मिला, कुंती, विशाखा और अनुराधा जैसी कन्याएं काछन देवी बन चुकी हैं।
इस वर्ष काछनगादी पूजा 21 सितंबर की शाम को बड़े धूमधाम और पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ संपन्न होगी। बस्तर दशहरा की इस परंपरा को देखने देश-विदेश से श्रद्धालु और पर्यटक हर साल बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, जो इस अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत के साक्षी बनते हैं।


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