धरती पर लौटते ही सुनीता विलियम्स को घेर लेंगी बीमारियां! कैंसर, बेहोशी और आ सकती है ये समस्याएं

धरती पर लौटते ही सुनीता विलियम्स को घेर लेंगी बीमारियां! कैंसर, बेहोशी और आ सकती है ये समस्याएं

लंबे समय से लोग सुनीता विलियम्स की धरती पर वापसी की राह देख रहे हैं. जैसे- जैसे ये तारीख नजदीक आ रही है लोगों का उत्साह और ज्यादा बढ़ने लगा है. NASA की भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर 5 जून साल 2024 से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ( ISS) में फंसे हुए हैं. उनकी इसी महीने 19 तारीख को धरती पर वापसी होनी है. रिपोर्ट के मुताबिक दोनों ही स्पेसएक्स के स्पेसक्राफ्ट से आएंगे. काफी महीने से अंतरिक्ष पर रहने की वजह से धरती पर लौटते ही उन्हें समस्याएं घेर लेंगी. उन्हें गुरुत्वाकर्षण से जुड़ी बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा.

हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा
रिपोर्ट के मुताबिक स्पेस स्टेशन मे लंबा समय बिताने वाले एस्टोनॉट्स को कैंसर, हार्ट संबंधी बीमारियों का खतरा भी बन सकता है. इसे लेकर विशेषज्ञों ने कहा है कि विलियम्स की वास्तविक यात्रा पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव में वापस आने के बाद शुरू होगी, क्योंकि उनके शरीर को पीछे छोड़े गए दबाव और वजन को झेलने में मुश्किल होगी. वही वैज्ञानिकों ने कहा कि गुरुत्वाकर्षण निचले छोरों पर तरल पदार्थों सहित सब कुछ नीचे खींचना शुरू कर देता है, उन्होंने आगे कहा कि “एक पेंसिल उठाना भी एक अत्यधिक कसरत जैसा महसूस होगा. ऐसे में मानव शरीर शरीर अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजरता है और वापसी की यात्रा अपने आप में शारीरिक चुनौतियां पेश करती है.

निगरानी की होगी आवश्यकता
हेल्थसाइट डॉट कॉम के अनुसार अंतरिक्ष में काफी समय बिताने वाली सुनीता विलियम्स के लिए, पुनः समायोजन प्रक्रिया के लिए सावधानीपूर्वक निगरानी और पुनर्वास की आवश्यकता होगी. लंबे समय से स्पेस स्टेशन में रहने की वजह से मांसपेशियां कमज़ोर हो जाती हैं क्योंकि उन्हें शरीर को माइक्रोग्रैविटी में बनाए रखने के लिए उतना बल नहीं लगाना पड़ता है. यह विशेष रूप से पैरों, पीठ और कोर की मांसपेशियों में ध्यान देने योग्य है. आईएसएस में लंबे समय तक रहने से हड्डियों का घनत्व भी कम हो सकता है. विशेषज्ञों के अनुसार, विलियम्स को हड्डियों के घनत्व में कमी का निदान किया गया है. लंबे समय तक माइक्रोग्रैविटी में रहने से हड्डियों का घनत्व कम हो जाता है, जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है.

हृदय संबंधी समस्याएं
इसके अलावा रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि माइक्रोग्रैविटी में बहुत समय बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को हृदय संबंधी स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी हो सकती हैं. दिल सामान्य मनुष्यों के मुकाबले अपना काम करना कम कर देता है. रक्त पंप करने के लिए आवश्यक कम दबाव के कारण माइक्रोग्रैविटी में हृदय थोड़ा सिकुड़ सकता है. इससे धरती पर लौटने के बाद उन्हें बहोशी, चक्कर जैसी समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है.


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