ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को अपरा एकादशी कहते हैं। इसे अचला एकादशी भी कहा जाता है। वैसे तो हर एकादशी का अपना अलग महत्व है लेकिन अपरा एकादशी की विशेष महत्व है। कहा जाता है कि इस पूर्णिमा का व्रत रखने से राजसूय यज्ञ, अश्वमेध यज्ञ, और तीर्थ स्नान के बराबर फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ – साथ तुलसी माता की भी पूजा की जाती है। इस साल आज यानी 23 मई को अपरा एकादशी मनाई जा रही है। आइए जानते हैं अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और व्रत कथा सहित सब कुछ…
अपरा एकादशी का शुभ मुहूर्त
धार्मिक पंचांग के अनुसार इस साल ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 22 मई को रात 01:12 बजे से हो चुकी है जो कि 23 मई को रात 10:29 बजे तक रहने वाली है। यानी 23 मई को एकादशी का व्रत रखा जाएगा। इस दिन का ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04.04 बजे से 04:45 बजे तक रहेगा। व्रत पारण का मुहूर्त सुबह 05.26 बजे से 08:11 बजे के बीच है।
इस तरह करें पूजा
अपरा एकादशी के दिन सुबह उठकर स्नान आदि से मुक्त हो जाएं और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद विधि-विधान से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। विष्णु जी के भोग में तुलसी जरूरी रूप से अर्पित करें, वरना इसके बिना उनका भोग अधूरा माना जता है। इसके बाद तुलसी की भी पूजा-अर्चना करें और इस दौरान तुलसी जी को लाल चुनरी अर्पित करें। श्याम के समय तुलसी के पास दीपक जलाएं।