Gariyaband Family Strike: गरियाबंद जिले से एक भावनात्मक मामला सामने आया है। अमलीपदर तहसील के खरीपथरा गांव निवासी मुरहा नागेश अपनी पुश्तैनी जमीन का हक पाने के लिए कड़कती ठंड में परिवार सहित गांधी मैदान में भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं।
मुरहा नागेश के नाम से खसरा क्रमांक 1/83 में दर्ज 2.680 हेक्टेयर भूमि पर कुछ लोगों ने कब्जे की कोशिश की थी। अगस्त माह में भी उन्होंने इसी जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए भूख हड़ताल की थी। तब तहसीलदार ने उनके पक्ष में आदेश देकर कब्जा दिलाया था। लेकिन बाद में अपील में एसडीएम (SDM) ने तहसीलदार के आदेश को खारिज कर दिया, जिससे मुरहा फिर असमंजस में पड़ गए।
फसल उगाने के बाद फिर छिना हक
एसडीएम का आदेश आने के बावजूद प्रशासन ने मुरहा को दोबारा कब्जा दिलाया, जिसके बाद उन्होंने खेत में फसल भी उगाई। लेकिन विवाद खत्म नहीं हुआ। कुछ लोगों ने फिर से उनकी फसल चौपट कर दी। इसी से आहत होकर मुरहा अब एक बार फिर भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं और स्थाई कब्जा दिलाने की मांग कर रहे हैं।
बंदोबस्त त्रुटि बनी विवाद की जड़
इस विवाद की जड़ बंदोबस्त त्रुटि है। रिकॉर्ड के अनुसार, 1954 से लेकर 1986 तक खसरा क्रमांक 1/83 में मुरहा नागेश का नाम दर्ज था। लेकिन 1990 में हुए बंदोबस्त सुधार के दौरान यह रिकॉर्ड बदलकर दो नए खसरा क्रमांक—778 और 682—में बांट दिया गया। इन नए रिकॉर्ड में मोतीराम सहित चार अन्य किसानों के नाम दर्ज हो गए, जिससे राजस्व विभाग की मुश्किलें बढ़ गईं।
कलेक्टर ने गठित की जांच टीम
स्थिति को देखते हुए कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने 10 सदस्यीय टीम बनाई है, जिसमें एसडीएम तुलसी दास मरकाम, अमलीपदर तहसीलदार सुशील कुमार भोई, भू-अभिलेख सहायक अधीक्षक विजय सिंह और चैतन राम कोड़प्पा सहित आरआई-पटवारी शामिल हैं।
यह टीम पिछले तीन दिनों से गांव में बंदोबस्त सुधार का कार्य कर रही है। तहसीलदार भोई के अनुसार, “1954 के रिकॉर्ड की मैपिंग कर पुराना और नया रकबा मिलाया जा रहा है। भौतिक निरीक्षण कर वास्तविक स्थिति का आंकलन करने के बाद बटांकन और काश्त-कब्जे के आधार पर अंतिम सुधार किया जाएगा।”
प्रशासन के लिए चुनौती बना विवाद
गांव के करीब 360 किसानों के रकबे में भी गड़बड़ी सामने आई है। ऐसे में प्रशासन अब पूरे गांव का नया सर्वेक्षण कर रहा है। यह कार्य पूरा होने के बाद ही मुरहा नागेश सहित अन्य किसानों को स्थाई रूप से उनकी जमीन का अधिकार मिल सकेगा।
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