नाथनगर (भागलपुर)। टीएमबीयू में पीजी हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. दिव्यानंद देव को अपने जन्मदिन पर तलवार से केक काटना महंगा पड़ गया।
रविवार देर शाम को विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनका तबादला कर दिया। उन्हें नवगछिया अनुमंडल के नारायणपुर स्थित जेपी कॉलेज भेजा गया है। विभाग में तलवार से केक काटने और विद्यार्थियों के साथ ठुमका लगाने के मामले में गठित कमेटी की अनुशंसा पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह कार्रवाई की है।
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तलवार से काटा था केक
पीजी हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. दिव्यानंद देव ने 31 जनवरी को विभाग में तलवार से केक काटकर जन्मदिन मनाया था। इस दौरान वह विभाग के विद्यार्थियों के साथ ठुमका भी लगाए। एक फरवरी को जन्मदिन कार्यक्रम का वीडियो वायरल होने पर विश्वविद्यालय में जमकर हंगामा मचा।
वायरल वीडियो को आधार बनाकर छात्र राजद ने कुलपति प्रो. जवाहर लाल से लिखित शिकायत कर शिक्षक दिव्यानंद देव पर कार्रवाई की मांग की। छात्र राजद सहित चार छात्र संगठनों ने विश्वविद्यालय प्रशासन को चेतावनी दी थी कि अगर रविवार तक कार्रवाई नहीं हुई तो हमलोग सोमवार यानि दस फरवरी को आंदोलन करेंगे।
लेकिन रविवार की शाम छह बजे के बाद कुलसचिव प्रो. रामाशीष पूर्वे ने कुलपति के निर्देश पर अधिसूचना जारी कर मामले को तूल देने से रोकने का काम किया।
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दूसरी तरफ, जांच कमेटी के एक सदस्य का ऑडियो वायरल होने पर भी खूब बवाल मचा। उस पर हिंदी विभाग के विद्यार्थियों और एबीवीपी ने जांच कमेटी पर सवाल खड़े किये। संबंधित सदस्य पर कार्रवाई की मांग की थी।
जिम्मेदारी तो मेरी है : प्रो. योगेन्द्र
इधर स्नातकोत्तर हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. योगेन्द्र ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि विभाग में बर्थडे मनाने की परंपरा मैंने शुरू की थी। विभाग में दूर दराज के गांवों से बच्चे-बच्चियां पढ़ने आते हैं। उनमें से ज़्यादातर बच्चे अभाव में ही रहते हैं।
उनके जीवन में खुशियों के क्षण कम ही आते हैं। मेरी इच्छा हुई कि इनके जीवन में चंद खुशियों के क्षण सृजित किये जाएं, इसलिए वर्ष भर में जिस भी बच्चे- बच्चियों के जन्म दिवस आये, उन्हें सेलिब्रेट किया जाए। यह परंपरा पूरी तरह से जाति और धर्म निरपेक्ष थी और है।
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विभाग में मैंने भव्य विदाई और स्वागत समारोह आयोजित करवाया। वह अब भी क़ायम है। प्रति वर्ष राष्ट्रीय संगोष्ठियां आयोजित कीं। उन्होंने कहा कि बच्चों को बाहर घूमने, देखने और साथ-साथ सीखने के लिए कभी शांति निकेतन, तो कभी मंदार ले गया
इन सब गतिविधियों से विभाग का माहौल जीवंत हो उठा। विश्वविद्यालय ने इनमें एक नये पैसे का भी सहयोग नहीं दिया। विभाग के इन्हीं बच्चे-बच्चियों ने अपने सिर खर्च भी उठाए और पूरी तत्परता से सहयोग किया। उन्होंने कभी शिकायत नहीं की।
उन्होंने कहा कि आज एक अच्छी खासी परंपरा को लेकर सवाल किए जा रहे हैं। मेरा सबसे निवेदन है कि आपसी खुन्नस निकालने के लिए तिल का ताड़ मत बनाइए। ऐसे ही हालात रहे तो कोई शिक्षक विभाग में कक्षा आने जाने के सिवा कुछ नहीं करेगा।
उन्होंने कहा कि कुलपति से मेरा आग्रह है कि वे विभाग की भावनाओं को ठीक से समझें और उन्हें जीवंत रहने दें। अगर तब भी लगता है कि कार्रवाई करनी ही है तो मैंने यह परंपरा शुरू की है, मेरे ऊपर प्राथमिकी दर्ज कर दें। मैं जेल जाने के लिए तैयार हूं।