भारत के अर्थशास्त्रके ज्ञाता और सादगी के प्रतीक डॉ. मनमोहन सिंह का अचानक से जाना भारत के लिए एक क्षति है आज वो हमारे बीच तो नहीं हैं लेकिन उनकी नीतियों और विचार हमेशा जीवित रहेंगे। डॉ. मनमोहन सिंह उन्हें भारत के आर्थिक सुधारों को जनक कहा जाता है। उनका जीवन प्रेरणा कार एक नेता नहीं थे, बल्कि भारत की दिशा और दशा को बदलने बाले दूरदर्शी व्यकि थे। उनकी गाथा आभारण थी। पंजाब के एक साधारण गांव में जन्म लेकर, ऑक्सफोर्ड और कैम्ब्रिज जैसी विश्व-प्रसिद्ध संस्थाओं में शिक्षा प्राप्त की। वे एक अर्थशास्त्री के रूप में उभरे। भारत के प्रधानमंत्री बने। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और सेवा का उदाहरण है।1991 में भारत गंभीर आर्थिक आ संकट का सामना कर रहा था। विदेशी मुद्रा भंगर लगभग खत्म हो चुका थे । देश कर्ज के बोझ तले दबा हुआ था। आयात के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। ऐसे समय में डॉ. मनमोहन सिंह को वित्तमंत्री या गया। उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी. वी. नरसिंह राव के साथ मिलकर साहसिक फैसले लिए। डॉ. सिंह ने के क्षेत्र में उन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन लागू अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के लिए उदारीकरण किया। ये योजनाएँ आज भी देश को लाभ पहुंचा रही निजीकरण और वैश्रीकरण की नीति अपनाई। उन्होंने हैं। डॉ. मनमोहन सिंह का मानना कि भारत भारतीय बाजारों को विदेशी निवेशकों के लिए खोला। भविष्य उसके पुषाओं में है। उनका कहना था कि यदि व्यापार और उद्योग पर लगी पाबंदियों को हटाया। इन युवाओं को सही शिक्षा और अवसर दिए जाएँ तो वे सुधारों ने भारत की न केवल आर्थिक संकट से बाहर असंभव को भी संभव बना सकते हैं। उन्होंने युवाओं निकाला। उनके सुधारों का प्रभाव दूरगामी रहा। को प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया के लिए तैयार करने पर जोर भारतीय उद्योगों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का दिया उनकी नीतियों ने आईटी, स्टार्ट अप और सामना करना पड़ा, जिससे वे और मजबूत हुए। छोटे डिजिटल क्षेत्रों में भारतीय युवाओं को नपाइने और मध्यम उद्योगों को भी नई ऊर्जा मिली। रोजगार का अवसर दिया।
ईमानदारी और अनुशासन से हर समस्या का हल निकाला
आज भारत के स्टार्टअपा वैक्षिक के अवसर कड़े। विदेशी निवेशकों ने भारत में निवेश करना शुरू किया उनकी नीतियों ने भारतीय युवाओं के लिए कई अवसर खोले। आईटी और सेवा क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ। आज भारत को दुनिया का बैंक ऑफिस कहा जाता है। इसकी नींव उर्मी सुधारों में है। उनका मानना था कि विकास का लाभ समाज के हर वर्ग तक पहुँचना चाहिए। उनके कार्यकाल में कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू हुई। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम उनकी सबसे महत्वपूर्ण योजनाओं में से एक थी। यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सुनिक्षित करने के लिए बनाई गई थी। सर्व शिक्षा अभियान शुरू किया। इससे लाखों बच्चों जाने का अवसर मिला। उपब शिक्षा में सुधार र के लिए भी उन्होंने कई कदम उताए। स्वास्थ्य स्तर पर पहचान बना रहे हैं। डिजिटल इंडिया अभियान की नींव उन्हीं के समय में रखी गई थी युवाओं के लिए उनका संदेश था कि मेहनत, ईमानदारी और अनुशासन से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। उनके विचार आने वाली पौड़ियों के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेंगे। उनका पूरा जीवन सादगी और ईमान्दारी की मिसाल है। उन्होंने कभी व्यक्तिगत प्रचार या दिखावे का सहारा नहीं लिया। उनका मानना था कि नेहा का काम उसके शब्दों से नहीं, बल्कि उसके कार्यों से पहचाना जाना चाहिए। वे विवादों से हमेशा दूर रहते थे।
इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा नाम
डॉ. सिंह ने भारत की विदेश नीति को भी नई दिशा दी। उनके कार्यकाल में अमेरिका के साथ ऐतिहासिक परमाणु समझौता हुआ। इस समझौते ने भारत को ऊर्जा सुरक्षा प्रदान की और वैश्विक स्तर पर देश की स्थिति मजबूत किया। इशाके शताबा, उहोंने चीन और पाकितान जैरो पड़ोसी देशों के साथ संबंध सुधारने की भी कोशिश को। उनकी विदेश नीति का उद्देश्य हाति और विकास बढ़ावा देना था। दाँ सिंह का मानना था कि देश का विकास तभी संभव है जब हर नागरिक को उसका हक और अवसर मिले। उन्होंने कहा था कि आर्थिक और सामाजिक विकास का मकसद केवल वर्तमान को नहीं, बल्कि भविष्य को भी सुरक्षित करना है। उनकी नौतियों आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ठोस आधार हैं। उनकी सोच और नीतियों का प्रमाण है कि यदि नीति सही हो, तो देश में असंभव को भी संभव किया जा सकता है। डॉ. मनमोहन सिंह अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकाला, एक स्थिर अर्थव्यवस्था की नींव रखी और समाज के हर वर्ग के लिए विकास के रास्ते खोले उनका जीवन इस सबूत है कि सादगी, ईमानदारी और दूरदृष्टि से बड़ा से बड़ा काम किया जा सकता है। वे आज भी हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। भारत के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने केवल अपने समय में बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक मजबूत और प्रगतिशील भारत का निर्माण किया। उनको नीतियों और विचार आने वाले कई दशकों तक हमारा मार्गदर्शन कराते रहेंगे।
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