CG Employees Strike: छत्तीसगढ़ में सरकारी कर्मचारियों का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। छत्तीसगढ़ कर्मचारी अधिकारी फेडरेशन के आह्वान पर प्रदेशभर के कर्मचारी 29 से 31 दिसंबर तक तीन दिवसीय हड़ताल पर जाने वाले हैं।
इस दौरान इंद्रावती भवन समेत मंत्रालय, संचालनालय और जिला स्तर के शासकीय कार्यालयों में कामकाज बुरी तरह प्रभावित होने की आशंका है। कर्मचारियों का कहना है कि लंबे समय से लंबित मांगों पर सरकार की चुप्पी ने उन्हें आंदोलन के लिए मजबूर किया है।
हड़ताल की रणनीति, विभागवार टीमें सक्रिय
हड़ताल को सफल बनाने के लिए छत्तीसगढ़ संचालनालयीन शासकीय कर्मचारी संघ ने 13 दिसंबर को इंद्रावती भवन में अहम बैठक की। इसमें आंदोलन की रूपरेखा तय की गई और पदाधिकारियों की अलग-अलग टीमें बनाई गईं। ये टीमें कर्मचारियों से संपर्क कर हड़ताल के उद्देश्य, मांगों और आगामी कार्यक्रमों की जानकारी दे रही हैं, ताकि प्रदेशभर में एकजुटता के साथ आंदोलन किया जा सके।
सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप
कर्मचारी संगठनों का आरोप है कि वर्तमान सरकार को बने दो साल से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन चुनाव के दौरान किए गए वादे अब तक पूरे नहीं हुए। महंगाई भत्ता, वेतन विसंगति, नियमितीकरण, पेंशन और पदोन्नति जैसे मुद्दों पर ठोस निर्णय नहीं होने से कर्मचारियों में भारी नाराजगी है। संघ का कहना है कि बार-बार ज्ञापन और संवाद के बावजूद जब समाधान नहीं निकला, तो हड़ताल ही अंतिम विकल्प बचा।
महंगाई भत्ता और नियमितीकरण मुख्य मुद्दा
कर्मचारियों की प्रमुख मांगों में केंद्र के समान देय तिथि से महंगाई भत्ता लागू करना, डीए (DA) एरियर का समायोजन, चार स्तरीय समयमान वेतनमान, विभिन्न संवर्गों की वेतन विसंगति दूर करना और दैनिक व संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण की ठोस नीति शामिल है। इसके साथ ही पंचायत सचिवों के शासकीयकरण और सेवानिवृत्ति आयु 65 वर्ष करने की मांग भी जोर पकड़ रही है।
जनसेवाओं पर पड़ सकता है असर
तीन दिन की हड़ताल से राजस्व, शिक्षा, स्वास्थ्य, नगरीय निकाय और महिला-बाल विकास जैसे अहम विभागों की सेवाएं प्रभावित हो सकती हैं। कर्मचारी संगठन साफ कर चुके हैं कि यदि सरकार ने जल्द बातचीत कर समाधान नहीं निकाला, तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जा सकता है।
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