CG Police Attack FIR: सरगुजा जिले के परसोडी कला स्थित अमेरा ओपन कास्ट कोयला खदान के विस्तार को लेकर बुधवार को स्थिति अचानक तनावपूर्ण हो गई। ग्रामीणों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 150 से अधिक लोगों पर FIR दर्ज की है। पुलिस के अनुसार, प्रदर्शन के दौरान भीड़ ने अधिकारियों पर लाठी, डंडे और पत्थरों से हमला कर दिया, जिससे हालात बिगड़ गए।
इस घटना में ASP, अपर कलेक्टर, पुलिस इंस्पेक्टर सहित कुल 39 अधिकारी-कर्मचारी घायल हुए हैं। पुलिस ने गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। इन धाराओं में शासकीय कार्य में बाधा, शासकीय संपत्ति को नुकसान, भीड़ हिंसा, तथा हत्या के प्रयास (Attempt to Murder under BNS) जैसी के तहत मामला दर्ज किया है। इनमें 55 लोगों को नामजद किया गया है, जबकि 10 ग्रामीणों को हिरासत में लिया जा चुका है।
ग्रामीणों का आरोप “जमीन गई, रोजगार नहीं मिला”
एसईसीएल (SECL) का कहना है कि खदान विस्तार के लिए यह भूमि वर्ष 2001 में अधिग्रहित की गई थी और इसके बदले 19 करोड़ रुपये का मुआवजा किसानों में बांटा जा चुका है। लेकिन ग्रामीणों की नाराजगी जारी है। उनका कहना है कि 19 किसानों ने मुआवजा जरूर लिया, लेकिन उन्हें वादा किया गया रोजगार अब तक नहीं मिला।
ग्रामीणों का आरोप है कि उनकी पुश्तैनी जमीन जाने के बावजूद उन्हें न नौकरी मिली, न पुनर्वास की स्पष्ट योजना। इसी विरोध के चलते बुधवार को ग्रामीणों की भीड़ खदान क्षेत्र के सामने इकट्ठी हुई, और हालात देखते ही देखते हिंसक रूप ले गए। भीड़ ने पुलिस पर अचानक हमला कर दिया, जिसके बाद प्रशासन को लाठीचार्ज करना पड़ा और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए।
पुलिस का बयान- ‘असामाजिक तत्वों ने भीड़ को उकसाया’
खदान प्रबंधन और पुलिस ने इसे एक सुनियोजित हमला बताया है। अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शन में कुछ असामाजिक तत्व शामिल हो गए थे, जिन्होंने भीड़ को भड़काया और पुलिस पर हमला कर दिया।
पुलिस अब वीडियो फुटेज और मोबाइल रिकॉर्डिंग की मदद से अन्य लोगों की पहचान कर रही है। लखनपुर थाने में दर्ज FIR में कहा गया है कि हमले के दौरान “सरकारी कामकाज बाधित हुआ और अधिकारियों की जान को गंभीर खतरा पैदा हुआ।”
अमेरा खदान विस्तार पर बढ़ती राजनीति
अमेरा कोल माइंस क्षेत्र पिछले कई वर्षों से भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास, मुआवजा और रोजगार जैसे मुद्दों पर संवेदनशील रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि खदान विस्तार से उनकी खेती पूरी तरह समाप्त हो जाएगी, जबकि उन्हें लंबे समय से अपेक्षित सुरक्षा और रोजगार नहीं मिल रहा।
इधर, प्रशासन का कहना है कि खदान विस्तार परियोजना से क्षेत्र में रोजगार और विकास बढ़ेगा, इसलिए विरोध को शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहकर व्यक्त किया जाना चाहिए।
