CG-MP Tiger Translocation: छत्तीसगढ़ में MP से लाए जाएंगे 6 बाघ, तमोर पिंगला और USTR में 24 घंटे होगी निगरानी

CG-MP Tiger Translocation: छत्तीसगढ़ में MP से लाए जाएंगे 6 बाघ, तमोर पिंगला और USTR में 24 घंटे होगी निगरानी

MP CG Tiger Translocation: छत्तीसगढ़ के जंगल एक बार फिर बाघों की दहाड़ से गूंजने वाले हैं। मध्यप्रदेश से कुल 6 बाघ छत्तीसगढ़ लाने की बड़ी योजना अब अंतिम चरण में है। ये बाघ गुरु घासीदास–तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व और उदंती–सीतानदी टाइगर रिजर्व (USTR) में बसाए जाएंगे।

नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की मंजूरी और दोनों राज्यों के वन विभागों की संयुक्त तैयारी के बाद यह प्रोजेक्ट अब जमीन पर उतरने ही वाला है। वन विभाग की टीम जल्द ही कान्हा और बांधवगढ़ रवाना होने वाली है।

कान्हा से 3, बांधवगढ़ से 3 बाघ आएंगे

सूत्रों के अनुसार विशेषज्ञ टीमों ने महीनों तक क्षेत्रीय सर्वे कर नई जगहों की उपयुक्तता का परीक्षण किया। योजना के अनुसार–

  • कान्हा टाइगर रिजर्व से एक नर और दो मादा बाघ USTR भेजे जाएंगे।
  • बांधवगढ़ से तीन मादा बाघ तमोर पिंगला के विशाल जंगलों में छोड़े जाएंगे।
  • यह संतुलन प्रजनन क्षमता और पारिस्थितिक स्थिरता को देखते हुए तय किया गया है।

कॉलर आईडी से रियल-टाइम ट्रैकिंग

बाघों के नए परिवेश में सुरक्षित रूप से रुकने को लेकर वन विभाग ने अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करने का फैसला किया है। हर बाघ को कॉलर आईडी लगाया जाएगा, जिसकी मदद से वास्तविक समय लोकेशन, मूवमेंट, व्यवहार पैटर्न और सेक्यूरिटी रिस्क की 24 घंटे निगरानी की जाएगी। रिजर्व क्षेत्रों में गश्त बढ़ाई गई है और स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट्स भी तैनात की जाएंगी ताकि शिकारियों पर कड़ी नजर रखी जा सके।

जंगलों में शिकार, जल स्रोत और घासभूमि तैयार

बाघों के पुनर्वास के लिए दोनों रिजर्वों में विशेष प्रबंधन किए गए हैं-

  • शिकार प्रजातियों की उपलब्धता बढ़ाई गई
  • जल स्रोतों का संवर्धन किया गया
  • घासभूमि विकसित की गई
  • सुरक्षा चौकियां मजबूत की गईं

वन विभाग का कहना है कि यह सिर्फ बाघों की संख्या बढ़ाने का नहीं, बल्कि जैव विविधता और ईकोसिस्टम को मजबूत करने का बड़ा प्रयास है।

तमोर पिंगला और USTR रिजर्व तैयार

गुरु घासीदास–तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ में तेजी से उभरते जैवविविधता क्षेत्र के रूप में माना जा रहा है। यहां टाइगर के दीर्घकालिक निवास के लिए सुरक्षित जंगल, विशाल घासभूमियां, उपयुक्त भोजन श्रृंखला उपलब्ध है। वहीं USTR में बाघों की संख्या बढ़ने से बस्तर–महासमुंद क्षेत्र में वन्यजीव संरक्षण को नई ऊर्जा मिलेगी।


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