भोपाल। 90 डिग्री के पुल से देशभर में किरकिरी कराने के बाद राजधानी भोपाल के इंजीनियरों ने एक बार फिर ऐसा कारनामा कर दिया है, जिसे देख कोई भी माथा पीट ले। पहले मेट्रो कॉर्पोरेशन ने करोड़ों रुपये झोंककर मेट्रो स्टेशन तो बना दिया, लेकिन स्टेशन की जमीन से ऊंचाई ही मानक से कम रख दी। वहीं, नगर निगम ने नया 40 करोड़ का आलीशान दफ्तर बनाया, लेकिन मीटिंग हॉल बनाना ही भूल गया। मजाक उड़ा तो अब सरकार कह रही है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।
क्या है मेट्रो स्टेशन का मामला?
मेट्रो कॉरपोरेशन के इंजीनियरों ने खंभो पर केंद्रीय विद्यालय स्टेशन बनाते समय सतह से स्टेशन के आधार की मानक ऊंचाई को नजरअंदाज किया। काम पूरा हो जाने के बाद पता चला की इसकी ऊंचाई केवल 4.8 मीटर है, जो मानक ऊंचाई 5.5 मीटर से कम है। लिहाजा स्टेशन का काम पूरा हो जाने के बाद बनी सड़क को दोबारा खोद कर उसे 5:30 मीटर हाइट की मानक ऊंचाई पर लाया जा रहा है।
नगर निगम में क्या हुआ?
भोपाल के नगर निगम अधिकारियों का है। दरअसल भोपाल में नगर निगम ने अपना शानदार ऑफिस बनाया है, जो 5 एकड़ में बना है और आठ मंजिल का है। इसकी लागत 40 करोड़ है। इसमें शहर में नगर निगम की चार अलग-अलग ऑफिसों को एक जगह समाहित किया जाएगा। इसकी प्लानिंग करने वाले जिम्मेदार लोग इस बिल्डिंग में नगर निगम की परिषद की बैठक के लिए हॉल बनाना ही भूल गए। लापरवाही सामने आई तो निगम ने सरकार से 0.25 एकड़ जमीन मांगी है, ताकि 10 करोड़ की लागत से मीटिंग हॉल का निर्माण किया जाए।
कांग्रेस ने सवाल खड़े किए
इस पूरे मामले में कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरोलिया ने इस को जनता के पैसे की बर्बादी बताया है। मध्य प्रदेश के अधिकारी और इंजीनियर भांग खाकर काम कर रहे हैं, कभी बिल्डिंग में हॉल बनाना भूल जाते हैं, तो कभी मेट्रो स्टेशन की हाइट कम रह जाती है और फिर सड़क खोद दी जाती है। कुल मिलाकर जनता का पैसा बर्बाद हो रहा है।
90 डिग्री पुल पर भी काम शुरू
90 डिग्री पुल पर सरकार की हुई फजीहत के बाद अब सरकार ने उसकी डिजाइन फिर बदलकर निर्माण शुरू कर दिया है। वहीं, इन दो मामलों के चलते सरकार की हुई किरकिरी के बाद सरकार दोषियों पर कार्रवाई की बात कर रही है। सरकार की नाक के नीचे भोपाल में कभी पुल तिरछा बनता है, कभी स्टेशन नीचा बनता है, कभी ऑफिस में मीटिंग हॉल ही गायब होता है। हर बार ठेकेदार बदलते हैं, अफसर बदलते हैं, आश्वासन बदलते हैं, लेकिन जनता के पैसे की बर्बादी जारी है।
