CG News: छत्तीसगढ़ के मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में आयोजित राज्योत्सव के समापन समारोह में उस शख्स को सम्मानित किया गया, जिसने आतंक की आग में भी इंसानियत की मिसाल पेश की। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम हमले के चश्मदीद और जान बचाने वाले नजाकत अली को मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल और सांसद रेणुका सिंह ने सम्मानित किया।
यह सम्मान केवल एक व्यक्ति को नहीं, बल्कि उस हिम्मत और मानवता को दिया गया जिसने मौत के साये में भी दूसरों के जीवन की लौ जलाए रखी।
22 अप्रैल को हुआ था आतंकी हमला
नजाकत अली ने बताया कि 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बेसरनबेली इलाके में यह भीषण आतंकी हमला हुआ था। वे उसी वक्त घटनास्थल पर मौजूद थे, जब आतंकियों ने अचानक शैलानियों पर गोलियां चलानी शुरू कर दीं।
इस हमले में उनके भाई समेत कई भारतीय नागरिकों की मौत हो गई थी। बावजूद इसके, नजाकत अली ने अपनी जान जोखिम में डालते हुए चिरमिरी से गए चार परिवारों के 11 शैलानियों की जान बचाई। उन्होंने बच्चों और महिलाओं को सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।
चिरमिरी के लोग कृतज्ञ
हमले में जिन परिवारों को बचाया गया, उनमें लक्की परासर, अरविंद अग्रवाल, शिवांस जैन और हैप्पी वधावन जैसे लोग शामिल थे, जो अपनी पत्नियों और बच्चों के साथ कश्मीर घूमने गए थे।
इन सभी ने कहा कि नजाकत अली ने जिस तरह मौके पर बहादुरी दिखाई, वह किसी फिल्मी हीरो से कम नहीं था। उनकी सूझबूझ और साहस के कारण कई मासूम जानें बच सकीं।
कश्मीर और छत्तीसगढ़ का अनोखा रिश्ता
नजाकत अली पिछले 15 सालों से ठंड के मौसम में चिरमिरी आकर कश्मीरी गर्म कपड़ों का व्यापार करते हैं। वहीं, गर्मियों में वे कश्मीर में पर्यटन से जुड़ा काम संभालते हैं।
राज्योत्सव में उन्हें सम्मानित किए जाने के बाद लोगों ने खड़े होकर तालियां बजाईं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ उनकी दूसरी मातृभूमि है और यहां के लोगों ने हमेशा उन्हें परिवार का सदस्य माना है।
नजाकत की बहादुरी से सीखी इंसानियत
नजाकत अली की कहानी यह साबित करती है कि इंसानियत धर्म और प्रदेश से ऊपर होती है। पहलगाम की खूनी शाम में उनका साहस कई परिवारों के लिए उम्मीद की किरण बना। राज्योत्सव में दिया गया यह सम्मान पूरे छत्तीसगढ़ के लिए गर्व की बात है।
Read More : तेज रफ्तार बनी मौत का कारण! दशगात्र से लौट रहीं महिलाओं की ऑटो पुलिया से गिरी, 2 की मौत, 4 घायल
